ओवैसी साहबǃ आपके भरोसे हम मुसलमान हैदराबाद नहीं आये
अजीत सिंह
सिद्धार्थनगर। तेलंगाना में इस समय उत्तर प्रदेश के सैकड़ों लोग लाक डाउन के करण फसे हुए हैं। जिनमें 80 केवल सिद्धार्थनगर जिले के हैं। मजदूर तबके के यह लोग भूख से बेहाल हैं। अब उन्होंने मुस्लिम राजनीति के सिरमौर ओवैसी बंधु से बेहद नाराज हैं। इनका मानना है कि ओवैसी इन सबकी मदद इसलिए नहीं कर रहे क्योंकि यह उत्तर प्रदेश के हैं। जहां उन्हें कोई राजनीतिक फयदा नहीं मिल पा रहा है। प्रस्तुत है हैदराबाद में फंसे डुमरियागंज के तारिक़ हाशमी, तौकीर हाशमी, तहसीन अहमद, रज़ीउल्लाह शाह, नसीबुल हक़ आदि लोगों के उदगार —-
“मैं अपने प्रदेश से दूर हैदराबाद में हूँ । यहां हम किसी नेता के भरोसे पर नहीं आये थे बल्कि अपने मेहनत के बल पर रोज़ी रोटी कमाने आये थे। लेकिन कुदरत को कुछ और ही मंज़ूर था। कोविड-19 जैसी महामारी सारी दुनिया में फैली और भारत में आते ही तेज़ी से फैलने लगी। तभी भारत सरकार महामारी को फैलते देख कर पूरे भारत में तालाबंदी कर दी। तालाबंदी के कुछ ही दिन के बाद हमारी स्थिति ख़राब होने लगी दो वक़्त की रोटी मिलने में मुश्किल होने लगी। देश के अंदर तालाबंदी तो अवश्य हुई है़, लेकिन पेट और भूख पर कोई तालाबंदी कर सकता है क्या?
लाक डाउन का पहला दौर जैसे भी गुजरा ठीक ही था, लेकिन दूसरे दौर में हमारी स्थिति बेहद ख़राब हो गई। अब हमें कोरोना वाइरस नहीं भूख की महामारी दिखने लगी। फ़िर हमने सोशल मीडिया पर गुहार लगाई। हमनें सोचा शायद हमारी आवाज़ सरकारों तक पहुंचे और हमारी कोई मदद की जाये। हमारी आवाज़ सरकारों तक तो पहुंची। लखनऊ और तेलंगना दोनों जगहों से सीएम आफिस से अनेक फोन आये और मदद के नाम पर लगभग एक व्यक्ति को 2 किलो चावल मिला।
हैदराबाद से डुमरियागंज के हाशमी लिखते हैं कि एक बात दिल की बताऊं तो ओवैसी बन्धुओं से बहुत उम्मीद थी। लेकिन क्या कहूँ ? खैर उनसे कहना चहता हूँ आप के भरोसे हैदराबाद शहर में नहीं आया हूँ। ये मजबूरी थी कि हमने आप से मदद की उम्मीद लगाई लेकिन जब आप यूपी और बिहार में क़दम रखते हो तो अपने बल पर नहीं हमारे ही भरोसे आते हो।
ओवैसी की उदासीनता के कारण तेलंगाना सरकार का रवैया भी हमारे प्रति बिल्कुल सौतेला है़। वे आगे लिखते हैं कि उत्तर प्रदेश का होने कारण कोई मदद नहीं कर रहा है़। लेकिन एक निजी संस्था जामिया सुमैया राशन रिलीफ कि तरफ़ से हमारी मदद की गई। लगभग एक व्यक्ति को 10 किलो चावल और 1 किलो दाल एवं अन्य सामग्री भी वितरित की गई। लेकिन मुसलमानों के रहनुमां ओवैसी ने जिस प्रकार हमारी उम्मीदों को तोड़ा है, उससे उनका चेहरा बेनकाब हो गया है।”