हथपरा कांड का बेशर्म सचः खुले आम घूम रहे साम्प्रदायिक अपराधी, अब तक एक भी गिरफ्तारी नहीं
— दिन दहाड़े कब्रिस्तान की बाउंड्री ढहाई, पीर बाबा की मजार पर तोड़ फोड़ की, भुसैला जलाया डेढ़ दर्जन घरों में लूट पाट की, मगर इंसाफ का नाटक तक नहीं हुआ
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर (यूपी) के हथपरा गांव में साम्प्रदायिक लूटपाट के बाद भय का माहौल है। घटना के एक सप्ताह बाद भी वहां भय जनित सन्नाटा है, जो पुलिस जवानों के बूटों की चरमराहट से ही कभी कभी टूटता है। गांव में अल्पसंख्यक तबके की खासी तादाद है, फिर भी अनेक चेहरों पर चिंता के साथ दहशत की दोहरी लकीरें खिंची हैं। 21 अगस्त को लूटपाट आगजनी को देख अपनी सुरक्षा के मद्देनजर जिन महिलाओं ने गांव से भाग कर अपने रिश्तेदारों के घर शरण लिया था, वे अभी भी घर लौटने को तैयार नहीं हैं। कारण एक उन्मादी गिरोह के खिलाफ कार्रवाई न कर पाने की बेबसी सबको पता है। आखिर इस माहौल में वे लौटें भी तो किसके भरोसे। वास्तव में पुलिस के सामने हुई लूटपाट के बाद भी किसी को गिरफ्तार न कर पाना हथथरा कांड का शर्मनाक सच है ।
सादिक की पत्नी की मेहंदी भी नहीं छुटी , मगर दंगाइयों ने उसका दहेज का सारा सामान लूट लिया
हथपरा गांव में इस क्रूरतम घटना का सच बताने और दिखाने वाले कई लोग मिलते हैं। गांव सादिक (27) की शादी हुए 5 दिन ही हुए थे। अभी दूल्हन के हाथों से मेंहदी के रंग भी नहीं फीके हुए थे कि उपद्रवियों ने उसके अरमानों का खून कर दिया। दूल्हन के लाए हुए सारे सामान उपद्रवियों द्वारा लूट लिए गये। जो चीजें लूट कर नहीं ले जा सके, जैसे बेड, बोर्ड, पंखा आदि, उन्हें तोड़ कर बर्बाद कर दिया। दुल्हन के जेवर, पेटी में रखे गए हुए सामान, कुर्सी, टेबल, सिलाई मशीन, पानी चलाने वाली मशीन और कई सामानों को लूट कर लेकर चले गए।
जिलानी का लाखों लूटता रहा और पुलिस जान कर अनजान बनी रही
गांव के गुलाम जिलानी (37) की मानें तो बताते हैं कि घटना के दूसरे दिन शुक्रवार को 11 बजे 50 से ज्यादा की संख्या में भीड़ ने मेरे घर पर हमला कर दिया। भीड़ घर की तरफ बढ़ रही थी तो हम सब जान बचाने के लिए पीछे के रास्ते से निकल गए। कुछ देर बाद जब भीड़ वहां से चली गयी तो घर जाकर देखता हूँ कि मेरे घर का सारा सामान भीड़ ने लूट लिया। आलमारी तोड़ कर एक लाख का जेवर और उसमें 25 हजार रुपये थे, उसको लूट लिए। फ्रिज, कूलर, दो सोलर प्लेट, बडा बैटरा, गैस चूल्हा, गैस बाटला, मोटर, नल, 10 कुर्सी, दो बड़े डेग और कई सामान लूट कर दंगाई आराम से चले गए। घर लुटे हुए 5 दिन हो रहे हैं। पुलिस प्रशासन के लापरवाही से उपद्रवियों ने घरों को लूटा। हम लोग चिल्ला रहे थे दंगाई घरों को लूट रहे हैं, लेकिन पुलिस ने नहीं रोका।
गरीब का ठेला तक न छोड़ा वहशी दरिंदों ने
हबीबुन (38) बताती हैं कि शुक्रवार को 11 बजे के करीब सैकड़ों की संख्या में भीड़ घर पर पहुंचती है। दरवाजा न खुलने पर बाउंड्री की दीवाल गिराकर घर में घुसकर लूटपाट करते हैं। 5 बकरी, जेवर, 3 हजार रुपये, नल, राशन सब कुछ लूट लिया। हमारे पति ठेला चला कर परिवार चलाते थे,उसे भी तोड़ दिया।
और भी तमाम ग्रामीण बताते हैं कि उपद्रवियों ने डेढ़ दर्जन घरों को लूटा। पीर बाबा की मजार को तोड़ डाला, कब्रिस्तान की चारदीवारी गिरा दी। एक भुसैले को आग के हवाले कर दिया। लूटपाट का आलम यह था कि दंगाइयों ने रमजान अली (75) का घर जम के लूटा, रईस पान वाले की गुमटी तक नहीं छोड़ा गया, उसमें रखा गुटखा, बीडी तक लूटा गया। मोहम्मद हुसैन मुर्गी पालन का छोटा-सा रोजगार करते थे, उपद्रवियों को जब कुछ भी नहीं मिला तो उनकी 15 मुर्गियों को उठा ले गए। जमुरता सब्जी की खेती करती हैं। उन्होंने बताया कि भीड़ ने मेरे खेत में लगी हुई सब्जी को तोड़ ले गई और बाकी का नुकसान कर दिए। इसी तरह उपद्रवियों ने डेढ़ दर्जन से ज्यादा घरों को लूटा।
यह उपद्रवियों का तांडव 21 अगस्त के तीसरे पहर तक चलता रहा। इस घटना का सबसे शर्मनाक पक्ष यह है कि मौके पर पुलिस के सामने ही सब कुछ हुआ। लेकिन अब तक पुलिस ने इस साम्प्रदायिक हमले में शामिल एक भी आदमी की गिरफ्तारी नहीं की, न ही उनके खिलाफ नामजद मुकदमा ही दर्ज किया। जबकि विडियो गवाह है कि दंगाई थानाध्यक्ष को सामने ही नंगी/ गंदी गाली देकर गांव को ताल बना देने की एलान कर रहे थे।
क्या था पूरा मामला
बताते चलें कि हथपरा गांव में गुरुवार 20 अगस्त की शाम दो पक्षों में जमीनी विवाद को लेकर जमकर ईंट-पत्थर चले। जिसमें दोनों पक्षों से कई लोग घायल हो गए। वंही ध्रुवराज चौधरी नामक बुजुर्ग को गंभीर चोट लगने से मौत हो गई। इस घटना को साम्प्रदायिक ताकतों ने राजनीतिक अवसर में तब्दील कर साम्प्रदायिक रंग दे दिया। जिसके बाद से उपद्रवियों ने गांव की स्तिथि को तनावपूर्ण बना दिया है। घटना के दूसरे दिन शुक्रवार को आसपास के गांव से सुबह उपद्रवियों ने सुनियोजित ढंग से उन्मादी नारा लगाते हुए गांव को घेर लिया। उसके बाद भीड़ ने मुस्लिम घरों को चिन्हित कर डेढ़ दर्जन से ज्यादा घरों को लूटा, तोड़फोड़, आगजनी और यंहां तक की मुस्लिम धर्मस्थल मजार पर तोड़फोड़ और कब्रिस्तान की बाउंड्री ढहा दी। घटना में बुजुर्ग ध्रुवराज चौधरी के मौत के बाद 12 लोगों की गिरफ्तारी हुई है। लेकिन वह जमीनी विवाद में है। साम्प्रदायिकता और लूट के मामले में अब तक कुछ भी नहीं हुआ।
ग्रामीणों ने कहा प्रशासन उचित कार्रवाई नहीं कर रहा
गांव वालों ने कहा कि घटना 6 दिन बाद २७ तारीख को गांव में रिहाई मंच की टीम हालात का जायला लेने गईं। उसने अपनी रिपोर्ट में उपरोक्त त्थ्यों की पुष्टि करते हुए कहा है कि गाँव में स्थिति तनावपूर्ण है। प्रशासन एक पक्षीय कार्यवाही कर रहा है। रिहाई मंच के सदस्य शहरुख अहमद कहते हैं कि अलग-अलग साम्प्रदाय के घरों की लड़ाई में नफ़रत की राजनीति करने वालों ने गाँव के मुस्लिम समुदाय को बलि का बकरा बना दिया। गाँव के मुस्लिम समुदाय के लोगों पर उपद्रवियों के दमन पर पुलिस प्रशासन की चुप्पी बेहद शर्मनाक है।
सेक्युलर दलों के नेताओं ने भी कोई आवाज नहीं उठाई
और तो और, इतनी बड़ी घटना पर राजनीतिक दलों के नेता भी मौन हैं। जबकि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व सपा नेता माता प्रसाद पांडेय , पूर्व सांसद व कांग्रेस नेता मो मुकीम, घटना स्थल के करीब के ही रहने वाले हैं। यह गांव उनको अनेक बार चुनाव में वोट भी दे चुका है और वह सेक्यूलर दलों के सदस्य भी हैं। गांव वाले बताते हैं कि अब उन लोगों का किसी नेता पर कोई भरोसा नहीं रह गया है।