प्रधानों के साथ ही अधिकारियों, कर्मचारियों और फर्जी गौशालाओं की भी हो जांच- हेमंत चौधरी
डीएम दीपक मीणा से जिले को ओडीएफ की श्रेणी में लाने की मांग किया
अजीत सिंह
सिद्धार्थनगर। प्रधानों के खातों को सीज कर देनें मात्र से ही भ्रष्टाचार पर रोक नहीं लगाया जा सकता है, बल्कि प्रधानों के साथ ही उनके ऊपर के अधिकारियों और कर्मचारियों की भी जांच होनी चाहिए। हर न्याय पंचायत में बने फर्जी गौशालाओं की भी जांच होनी चाहिए जो अधिकतर सिर्फ कागजों में ही बन कर रह गए है। जिससे सड़को पर आवारा पशुओं का जमावड़ा लगा रहता है और प्राय: दुर्घटनाएं होती रहती है। बिजली विभाग में तो भ्रष्टाचार चरम पर है। मीटर लगाने के नाम पर 15-15 हजार गांव के लोगों से वसूल किया जा रहा है। नहीं देने पर जेईयों द्वारा एफआईआर की धमकी जाती है।
उक्त बातों को अपना दल के युवा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत चौधरी ने सर्किट हाउस में प्रेसवार्ता के दौरान कहा। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए अच्छा कदम उठाया है, मगर सवाल है कि सिर्फ प्रधानों के खातों को सीज करने या जांच करने से अंकुश कैसे लगेगा। इसके लिए प्रधानों के ऊपर के अधिकारियों की भी जांच होनी चाहिए तब दूध का दूध पानी का पानी होगा।
हेमंत चौधरी ने भ्रष्टाचार पर प्रहार करते हुए यह भी कहा कि हर न्याय प्रचायतों में आवारा पशुओं को रखने के लिए गौशालाओं का निर्माण कराया गया है लेकिन किसी भी गांव में देखने को नहीं मिल रहा है। यही कारण है कि पशु सड़कों पर घूम रहे है और आए दिन दुर्घटनाएं हो रही है। सभी गांवों में बने कागजी गौशालाओं की भी जांच होनी चाहिए।
श्री चौधरी ने बिजली विभाग का जिक्र करते हुए कहा कि बांसी विधानसभा के खैरटिया फीडर पर तैनात जेई बबलू चौधरी अपने लाइन मैंन राकेश दूबे से मीटर लगाने के नाम पर 15-15 हजार वसूल रहा है। पैसा न देने पर मुकदमा लिखाने का धमकी देता है। इस बात का एक अडियो भी लोगों ने मुझे दिया है और वायरल भी हुआ है।
डीएम दीपक मीणा से जिले को ओडीएफ श्रेणी में लाने की मांग की
अपना दल के युवा प्रदेश अध्यक्ष हेमंत चौधरी ने नए जिलाधिकारी दीपक मीणा की कार्य कुशलता की तारीफ करते हए जिले को ओडीएफ की श्रेणी में पहुंचाने की मांग की। उन्होंने कहा कि पिछले जिलाधिकारी ने बिना सच्चाई जाने ही सिर्फ कागजी कार्रवाई करते हुए जिले को एक साल पहले ही ओडीएफ घोषित कर दिया था जबकि अभी भी गांवों में लगभग मात्र 20% ही शौचालयों का निर्माण हो सका है।