आक्सीजन के अभाव में अस्पताल गेट पर एड़ियां रगड़ कर अधेड़ की मौत, कर्मियों ने नहीं खोला दरवाजा
पिछले सप्ताह भी अस्पाताल की संवेदीनता के चलते जा चुकी है एक युवक की जान की जान
निज़ाम अंसारी
शोहरतगढ़, सिद्धार्थनगर। अस्पताल के गेट पर पड़े एक अधेड़ व्यक्ति आक्सीजन के अभाव में एडियां रगड़ रहे थे। उसकी पत्नी चिल्ला चिल्ला कर डाक्टर को पुकार रहीं थीं, लेकिन डाक्टर तो क्या कोई चपरासी भी बाहर न निकला। अंत में लगभग 3 बजे 50 साल के उन बुजर्ग की सांसें टूट गईं। इसी के साथ उनकी पत्नी की कलेजा चीर देने वाली चीखें पूरे परिसर में गूंजने लगीं।यह हृदय विदारक घटना सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र शोहरतगढ़ प घटी। मृतक का नाम बालमकुन्द दुबे है और वे बगल के ग्राम मड़वा के रहने वाले हैं।
बालमुकुंद दूबे पिछले एक हफ्ते से बीमार चल रहे थे। बुधवार सुबह उन्हें सांस लेने में काफी दिक्कत हुई तो उनकी पत्नी को उन्हें कोविड ग्रसित होने का शक हुआ। वह तत्काल उनका इलाज कराने के लिए सरकारी एंबुलेंस से सीएचसी शोहरतगढ़ लाईं। कहते हैं कि एंबुलेंस चालक ने मरीज को एंबुलेंस से उतार कर अस्पताल के मुख्य गेट पर लिटा दिया और चिकित्सकों को आवाज दिया पर उसकी आवाज किसी ने नहीं सुनी। इसके बाद वह अपने काम में लग गया।
बरामदे में लेटे बालमुकंद दुबे का दम आक्सीजन के अभाव में घुटता रहा। उनकी पत्नी दरवाजा पीट पीट कर स्वास्थ्य कर्मियों को आवाजें देती रहीं लेकिन किसी ने नहीं खोला, हालांकि अस्पताल की ओपीडी बंद थी, मगर इमरजेंसी में मरीज देखे जा रहे थे। इस दौरान बालमुकंद की पत्नी को मनुहार गुहार करते लगभग ढाई घंटे हो चुके थे। अपरान् लगभग 3 बजे आखिर बालमुकंद ने अस्पताल के गेट पर ही दम तोड़ दिया। इसके बाद भी घटनाक्रम आपराधिक रहा। दुबे की मौत के मौके पर कोरोना जांच टीम तक नहीं पहुंची और उनकी चिता यों ही जलानी पड़ी।
बता दें कि करोना के नाम पर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र शोहरतगढ़ का ओपीडी बंद है, लेकिन इमरजेंसी खुली हुई है। मगर एक सप्ताह पहले अस्पताल के डाक्टरों ने उपनगर के ही एक युवक पंकज श्रीवास्तव को इमरजेंसी मे दाखिल करने के बाद कोराना की आंशका में बाहर निकला दिया लिहाजा आक्सीजन के अभाव में 22 अप्रैल को पंकज की भी मौत हो गई थी। एक सप्ताह भी नहीं हुए कि कल यह घटना हो गई और डाक्टर की संवेदनहीनता के चलते बालमुकुंद दूबे को घंटो तक तड़प – तड़प कर दर्दनाक मौत का सामना करना पड़ा।
इस बारे में सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के चिकित्साधीक्षक डॉ. पी.के. वर्मा की दलील भी काफी हास्यास्पद और गैरजिम्मेदाराना है। वह कहते हैं कि एम्बुलेंस चालक ने लापरवाही की, वह बिना चिकित्सक को सूचित किये ही एंबुलेंस लेकर चला गया। मरीज के बारे में जानकारी मिलते ही कोरोना जांच के लिए टीम मरीज के पास पहुंची तभी मरीज की मृत्यु हो गई। लेकिन डा. वर्मा नहीं बता पाते की कोरोना जांच टीम बाहर से अस्पताल में आई ही नहीं तथा अस्पताल का इमरजेंसी गेट खुला ही नहीं तो आखिर जाच टीम किधर से आ गई। जाहिर है कि सब लीपापोती की जा रही है।