कोरोना कहर व गरीब का दर्दः मुम्बई से भागने और वहां लौटने पर मौत ही मिलती है, कुछ कीजिए सीएम साहब जी!
इंदौर बस हादसे के मृतक परवारों की व्यथा कथा
— कामगार मुनिराम गुप्ता की सड़क दुर्घटना में मौत, पीड़ित परिवार के पास कमाने वला कोई नहीं बचा, यही हाल सौरहवां के मृतक परिजनों का भी है
–— पीपुल्स एलाइंस ने सड़क दुर्घटना में मृतक कामगारों के रोते बिलखते परिजनों से मुलाकात की
अजीत सिंह
सिद्धार्थनगर। कोरोना के कहर से आर्थिक रूप से परेशान 29 मजदूरों के घर में शोक का माहौल है। इनमें से जिन तीन परिवारों के घर के लोगों की हादसे में जान गई है, उनके घरों में तो काेहराम मचा है। कोरोना के चलते सिद्धार्थनगर के कामगारों के साथ ऐसा हादसा कई बार हो चुका है। जिसमें अब तक करीब 13 लोगों की मौत हो चुकी है। हादसे तब भी हुए थे जब लोग कोरोना के डर से मुम्बई, दिल्ली से अपने घरों की ओर भागे थे और अब भी हो रहा है, जब कोरोना के कारण घरों में रोटी के लाले पड़ने पर उसी मुम्बई दिल्ली की ओर लौट रहे है, जिसे वह चार पांच महीने पहले अलविदा बोल कर आए थे। ऐसे में जरूरी हो जाता है कि सरकार इन गरीब कामगारों के जीवन यापन के लिए कोई ठोष उपाय करे।
दरअसल इस बार पांच दिन पहले यह हादसा मध्य प्रदेश के इंदौर में बस के दुर्घटनाग्रस्त होने से हुआ। बतातें चले कि कोरोना फैलने के समय जब लोगों में महानगरों से भाग कर घर पहुंचने की होड़ मची थी तो भागने के दौरान सिद्धार्थनगर के 6 लोग मध्य प्रदेश में वाहन हादसे से मारे गये थे। इसमें तीन डुमरियागंज और तीन इटवा क्षेत्र के थे। बांसी क्षेत्र का एक व्यक्ति मोटर साइकिल पर परिवार के साथ दिल्ली से बाइक से आ रहा था, वह भी रास्ते में एक्सीडेंट में मारा गया था। एक महिला एक ट्रक में ही मृत पायी गई थी। इस प्रकार अलग अलग दुर्घटनाओं में अब तक कुल पन्द्रह लोग मारे जा चुके हैं। 50 से अधिक घायल भी हो चुके हैं। मगर यूपी सरकार इस दिशा में गंभीरता से नहीं सोच रही है।
सिद्धार्थनगर जनपद के डुमरियागंज- माली मैंनहा में एक और इटवा के सौरहवां गांव के दो प्रवासी मजदूरों की शुक्रवार, 4 सितंबर को रात 1.30 बजे मध्यप्रदेश के इंदौर के पास सड़क हादसे में मौत हो गई। पिकअप में 29 लोग सवार थे, जिसमें 3 की मौत और बाकी 26 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। दुघर्टना के बाद से परिवार और गांव वालों में शोक की लहर दौड़ गई है। रविवार देर रात 12 बजे मृतक के लाश को घर वालों को पुलिस ने सुपुर्द किया।
माली मैंनहा के जिस प्रवासी कामगार मुनिराम गुप्ता (42) की दुर्घटना में मौत हुई उनकी पत्नी रीता देवी ने पीपुल्स एलाइंस प्रतिनिधि मंडल से कहा कि हमारे पति मुंबई-थाणे में भंगार का काम करते थे। जिससे हमारे परिवार का पालन-पोषण चलता था। लॉकडाउन में 2 महीने तक मुम्बई में बहुत परेशानी काटने के बाद गाँव आए और यंहा 4 महीना रहने के बाद काम न मिलने की वजह से घर चलाने में दिक्कत हो रही थी। जिसके वजह से दुबारा मुम्बई, थाणे कमाने के लिए गुरुवार, 3 सितंबर को चार पहिया भाड़े के वाहन से निकले ही थे की दूसरे दिन पता चला कि पति की इंदौर में दुर्घटना सेे मौत हो गई। अब हम कैसे परिवार चलाएंगे मेरा बड़ा लड़का अभी कक्षा 11 में है।
इटवा के सेऊंरहवा के दो प्रवासी मजदूरों की भी उसी दुर्घटना में मौत हो गई। उनसे पीपुल्स के नेता शाहरुख अहमद ने दुःख जाहिर करते और उनके साथ खड़े रहने का आश्वासन दिया। मृतक सहजराम यादव (40) के भाई अवधराम यादव ने बताया कि अभी लॉकडाउन में महाराष्ट्र में तालाबंदी की वजह से परेशान होकर गांव आए थे।तीन महीना गांव रहने के बाद घर चलाने के लिए आर्थिक दिक्कत आने लगी। जिसकी वजह से वो दुबारा मुम्बई जाने के लिए निकले थे कि मध्य प्रदेश के इंदौर में उनकी दुर्घटना में मौत हो गई। शेष 26 घायलों के परिजनों कि भी यही व्यथा कथा है। पीपुल्स एलाइंस के नेता शाहरुख अहमद ने सरकार से पीड़ित परिवारों के लिए मुआवजे व नौकरी की मांग की है। उनके साथ अज़ीमुश्शान फ़ारूक़ी, अफ़रोज़ सिद्दीकी और सलमान मौजूद रहे।