March 5, 2021 12:39 PMViews: 597
अजीत सिंह
इटवा, सिद्धार्थनगर। फेरी लगा कर सोने-चांदी के आभूषण बेचने वाले स्वर्ण व्यवसायी से पिस्तौल के बल पर लूटपाट का मामला सामने आया है। मगर घटना का बारीकी से विश्लेषण करने पर यह सरासर फर्जी लूट का मामला लगता है। फिर भी पुलिस इसकी जांच कर रही है। ज्ञात रहे कि जिले में हाल में भी लूट की घटनाएं प्रकाश में आ चुकी हैं। मौजूदा घटना इसी श्रृंखला की एक कड़ी मानी जा सकती है।
दर्ज मुकदमें से पता चलता है कि इटवा नगर पंचायत निवासी सुनील कुमार उर्फ गोलू स्वर्ण व्यवसायी है। वह गांव- गांव फेरी लगाकर आभूषण बेचने का काम करता है। सुनील के मुताबिक वह बुधवार को रमतलहा कुटी निवासी रमेश मौर्य के यहां जा रहा था। अभी इटवा- झकहिया मार्ग पर स्थित भेलौहा मोड़ से आगे पहुंचा था कि रमतलहा कुटी निवासी रमेश का फ़ोन आय कि बकाया पैसा मैने आपके खाते में ट्रॉन्सफर कर दिया है।
इसके बाद वह लौटने लगा। तभी पीछे से आए बाइक सवार दो युवकों ने उसे रोक दिया। जब तक वह कुछ समझ पाता कनपटी पर असलहा सटाकर आभूषण से भरा हुआ बैग डिक्की से निकालकर लेकर भाग गए। बैग मे 14 हजार रुपये की नकदी, डेढ़ किलो ग्राम चांदी, लगभग 25 ग्राम सोने का आभूषण और मोबाइल भी ले गए।
अब सवाल उठता है कि की घटनास्थल पर लूट की वारदात दिन में हुई मगर देखा किसी ने नहीं। जबकि रास्ते पर बराबर आवागमन होता रहता है। वह कुछ लोगों की मौजूदगी का भी पता चला है। ऐसे में यदि पीड़ित चीखा चिल्लाया होता तो उसकी आवाज जरूर किसी ने सुनी होती, मगर लूटने के बाद पीड़ित खामोशी से घर चला आया। यह बात कितनी अस्वाभाविक है पाठक खुद सोच सकते हैं।
दूसरी बात यह है कि घटना दिन के तीन बजे हुई, लेकिन पीड़ित ने पूलिस को घटना की सूचना रात में दी। जबकि उसके गहने और मोबाइल तक लूट लिए गये थे। जबकि जिसका माल जाता है वह चिल्ला चिल्ला कर उसी समय पुलिस से परियाद करता है। ऐसे में सवाल उठता है कि उसने पुलिस को यह सूचना सात घंटे बाद क्यों दी।
कपिलवस्तु पोस्ट को मिली जानकारी के मुताबिक उस व्यक्ति का हाल में ही एक व्यक्ति से विवाद था। लोग बताते है कि यह घटना विपक्षी को फंसाने के लिए फर्जी रूप गढ़ी गई। हो सकता है कि इस बात में दम हो। इसलिए पुलिस को घटना में ढोल दिखने वाले बिन्दुओं की जांच जरूर करनी चाहिए।
इस बारे में थाध्यक्ष इटवा का कहना है कि प्रथम दृष्टया लूट की यह घटना अविश्नीय दिखती है। परन्तु वादी का हित सर्वोच्च मान कर पीड़ित की तरफ से यह मुकदमा लिखा गया है। आगे इसकी जांच की जाएगी और सच को सामने लाया जायेगा। पुलिस किसी भी दशा में किसी निर्दोष को फंसने नहीं दगी।