इटवा: भाजपा से हरिशंकर सिंह कर सकते हैं ताकतवर विपक्षियों का मुकाबला

December 17, 2016 1:42 PM0 commentsViews: 1319
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… विधानसभा चुनाव

नजीर मलिक

harishankar

 

सिद्धार्थनगर। जिला बनने के बाद के 28 सालों में इटवा विधानसभा क्षेत्र में 1993 में जीत के अलावा भाजपा को हर बार निराशा ही मिली है। हर दांव आजमाने के बावजूद भाजपा यहां से कभी जीत नहीं पायी। सवाल है कि इटवा में भाजपा की तरफ से अन्य दलों को तगड़ी चुनौती कौन दे सकता है।

1989 के पहले चुनाव में भाजपा के विश्वनाथ पांडेय को मात्र 2335 वोट ही मिल सके थे और माता प्रसाद पांडेय ने 55159 वोट पाकर जीत हासिल की थी। भाजपा ने 1991 के चुनाव में वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष और उस वक्त के विधायक माता प्रसाद पांडेय के दाहिने हाथ स्वयंबर चौधरी को तोड़ कर उम्मीदवार बनाया उनका प्रदर्शन अच्छा रहा।

1993 में भाजपा ने स्वयंबर चौधरी के पीछले प्रदर्शन को देखते हुए उन्हें फिर उम्मीदवार बनाया और वह 52460 वोट पाकर चुनाव जीत गये। इसके बाद से इटवा में भाजपा के हाथों सिर्फ हार ही आ रही है। 1996 के चुनाव में भाजपा ने स्वयंबर चौधरी की जगह ब्रहम् प्रकाश चौधरी को पुनः उम्मीदवार बनाया, लेकिन 22 हजार वोट पाकर वह कमजोर प्रत्याशी साबित हुए।

2002 में भाजपा ने विधायक रहे स्वयंबर चौधरी पर पुनः दाव लगाया, लेकिन वह 24 हजार मत पाकर तीसरे नंबर पर रहे। इसके बाद 2007 में भाजपा ने उभरते हुए युवा नेता हरिशंकर सिंह पर दाव लगाया और इस नौजवान ने पहले ही झटके में 21 हजार वोट पाकर सबको चौका दिया।

पिछले चुनाव यानी 2012 के इलेक्शन में भाजपा ने तीन बार विधायक रहे जिप्पी तिवारी को टिकट दिया और वह 15979 वोट पाकर अपनी साख गवां बैठे। 2007 के चुनाव में हारने के बाद हरिशंकर सिंह मैदान में डटे रहें और धीरे–धीरे अपनी जमीनी स्थिति मजबूत करते रहे। यह उनकी कार्यशैली है कि वह इस क्षेत्र में हजारों मुस्लिम वोटरो को भाजपा से जोड़ने में कामयाब रहे हैं।

इस बार भाजपा की वोर से टिकट की दावेदारी कई लोगों की है, लेकिन मुख्य प्रतिद्धंदिता हरिशंकर सिंह और सतीश द्धिवेदी में है। सतीश द्धिवेदी अपने सजातीय और सपा के पुरोधा माता प्रसाद पांडेय के ब्राहम्ण वोटों में बहुत कुछ सेंध लगा पायेंगे, इसमें संदेह है। वैसे भी सतीश द्धिवेदी की जड़ें इटवा में नहीं हैं, वह संघ की सेवा में परदेशी ही रहे हैं।

राजनैतिक प्रेक्षकों को अनुमान है कि इटवा में हरिशंकर सिंह भाजपा के एक मात्र जमीनी नेता हैं जिन्होंने पिछले एक दशक में क्षेत्र के गली कूचों को नाप कर भाजपा कैडरों की फौज खड़ी की है। लिहाजा उनको दल किनार कर भाजपा की जीत की कल्पना काफी कठिन है।

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