डेढ़ हजार पीयर एजुकेटर्स ने “साथिया केन्द्रों” के माध्यम से संभाली जागरूकता कमान
शिव श्रीवास्तव
महराजगंज। शासन ने करीब दो माह से ठप पड़ी राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरकेएसके) की गतिविधियाँ अनलाक-1 में शुरू करने के दिशा-निर्देश जारी किये हैं। इसके तहत फिजिकल डिस्टेंसिंग एवं आवश्यक सावधानी के साथ साथिया केन्द्रों, किशोर मित्रता क्लब की बैठकों के माध्यम से किशोर किशोरियों को उनके स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया जाने लगा है।
आरकेएसके के नोडल अधिकारी डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम की जो गतिविधियाँ बन्द हो गयी थीं थी, अब वह शुरू की गयीं हैं। सभी साथिया केन्द्रों तथा किशोर मित्रता क्लब की बैठकों के माध्यम से किशोर-किशोरियों को जागरूक किया जा रहा है, किशोरियों को जहाँ आयरन की गोली के साथ सेनेटरी पैड वितरित किया जाने लगा है, वहीं किशोरों की भी काउंसिलिंग शुरू कर दी गई है।
आरकेएसके के जिला समन्वयक शिवेन्द्र प्रताप श्रीवास्तव ने बताया कि जिले में कुल डेढ हजार पीयर एजुकेटर्स में 750 किशोर तथा 750 किशोरियां हैं,। जो क्षेत्र में फिजिटिकल डिस्टेंसिंग, मॉस्क एवं सेनिटाइजर का प्रयोग करते हुए किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम की गतिविधियाँ संचालित करने की कमान संभाल लिए हैं।
आरकेएसके काउंसलर भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के साथ किशोर – किशोरियो की काउंसिलिंग एवं आवश्यक सामग्री वितरण की जिम्मेदारी संभाल लिए हैं। जिला अस्पताल स्थित साथिया केन्द्र के माध्यम से प्रतिदिन किशोर – किशोरियो को सेवाएं दी जा रही हैं।
नौ ब्लाकों में शुरू हैं आरकेएसके की गतिविधियाँ
आरकेएसके के जिला समन्वयक शिवेन्द्र प्रताप श्रीवास्तव ने बताया कि जिले के सभी 12 ब्लाकों में से अभी नौ ब्लाकों में (फरेन्दा, पनियरा तथा बृजमनगंज को छोड़कर) किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम की गतिविधियाँ शुरू कर दी गई है। जिले में आरकेएसके के ढांचे की जानका देते हुए उन्होंले बताया कि जिले में 1500 पीयर एजुकेटर तैनात हैं तथा कुल 13 साथिया केन्द्र और 375 मित्रता क्लब संचालित हैं।
वर्ष 2014 में शुरू किए इस कार्यक्रम का प्रमुख उद्देश्य किशोर भागीदारी, नेतृत्व और समानता का समावेश है। यह कार्यक्रम किशोरों के पोषण में सुधार, मानसिक स्वास्थ्य में वृद्धि, पदार्थो के दुरुपयोग को रोकने, हिंसा को रोकने के उद्देश्य से संचालित किया जाता है। कार्यक्रम में 10-19 आयु वर्ग के किशोर किशोरियों को जागरूक किया जाता है।