कालाजार के संभावित मरीज की होगी टीबी और एचआईवी की भी जांच
— डब्ल्यूएचओ और पाथ की मदद से प्रशिक्षित हुए चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मी
शिव श्रीवास्तव
महराजगंज। जनपद में 16यानी आज जुलाई से शुरू हो रहे प्रस्तावित दस्तक अभियान के तहत में आशा कार्यकर्ता घर-घर जाकर कालाजार के सक्रिय मरीज भी ढूंढेंगी। कोविड-19 प्रोटोकॉल का पालन करते हुए कालाजार के एक्टिव केस डिटेक्शन (एसीडी) अभियान के जरिये जो भी संभावित मरीज ढूंढे जाएंगे उनकी कालाजार की आरके-39 जांच के अलावा अनिवार्य तौर पर टीबी और एचआईवी जांच भी कराई जाएगी।
इस संबंध में स्वास्थ्य विभाग की ओर से एक वेबिबनॉर आधारित प्रशिक्षण भी हो चुका है । वेबिबनॉर में वेक्टर बार्न डिजीज (वीबीडी) के नोडल अधिकारी डॉ.विवेक श्रीवास्तव समेत जनपद के सभी संबंधित चिकित्साधिकारी और स्वास्थ्यकर्मी प्रशिक्षित हुए।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अशोक कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके सभी लोग प्रशिक्षु अपने-अपने सीएचसी-पीएचसी से जुड़ी आशा कार्यकर्ता को कालाजार के संबंध में संवेदीकृत करेंगे और उन्हें कोविड काल में एसीडी को सफल बनाने के तौर तरीके बताएंगे।
राज्य स्तर पर वेक्टर बार्न प्रोग्राम के संयुक्त निदेशक जेडी डॉ. वीपी सिंह द्वारा प्रशिक्षण के दौरान अभियान के सभी पहलुओं पर जो भी दिशा-निर्देश मिले हैं, उनका अनुपालन करवाया जाएगा। प्रशिक्षण में डब्ल्यूएचओ की तरफ से डॉ. तनुज और पाथ संस्था की ओर से डॉ. ज्ञान और डॉ. अर्पित ने जो भी तकनीकी जानकारियां दी हैं, उसे आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से समुदाय तक पहुंचाया जाएगा।
प्रशिक्षण प्राप्त वीबीडी के नोडल अधिकारी डॉ. विवेक श्रीवास्तव ने बताया कि कालाजार उन्मूलन में बीमारी की समय से पहचान और अतिशीघ्र इलाज का अहम योगदान होता है। उन्होंने बताया कि समय से इलाज न मिलने पर 95 फीसदी मामलों में मृत्यु का खतरा रहता है।
अगर किसी व्यक्ति को दो सप्ताह से अधिक समय से बुखार आ रहा हो, पेट में सूजन हो, वजन कम हो रहा हो और भूख में कमी जैसे लक्षण हैं तो वह कालाजार का संभावित मरीज हो सकता है।
एसीडी के दौरान ऐसे संभावित मरीजों को सीएचसी-पीएचसी और जिला अस्पताल भेज कर आरके-39 जांच करवानी है। जांच में कालाजार की पुष्टि होने पर 48 घंटे के भीतर इलाज शुरू कर देना है। चर्म रोग संबंधित कालाजार मरीजों में केस हिस्ट्री पर भी नजर रखनी है। इस कालाजार का प्रमुख लक्षण शरीर में सफेद दाग, चकत्ते और गांठें हैं।
प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले निचलौल के ब्लाक प्रोग्राम मैनेजर (बीपीएम) परमेश्वर शाही ने बताया कि आशा कार्यकर्ता दस्तक अभियान के दौरान इन लक्षण वाले मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के लिए प्रयास करेंगी और ऐसे मरीजों की रिपोर्टिंग ब्लॉक पर करेंगी।
कालाजार के लक्षण
कालाजार सैंड (बालू) मक्खी से फैलने वाली बीमारी है । यह मक्खी नमी वाले स्थानों व अंधेरे में पायी जाती है। यह मक्खी तीन से छह फुट तक उड़ पाती है। इस मक्खी के काटने से व्यक्ति बीमार हो जाता है। उसे रूक-रूक कर बुखार चढ़ता उतरता है। इस बीमारी से मरीज का पेट फुल फूल जाता है। भूख कम लगती है। शरीर काला पड़ जाता है। लक्षण दिखने पर मरीज को तत्काल चिकित्सक को से दिखाना चाहिए।