कलंकिनी माँ ने मरने के लिए नवजात को गड्ढे में फेंका, विमाता ने बचा कर पेश की ममता की मिसाल
मेराज़ मुस्तफा
इटवा, सिद्धार्थनगर। जो मां अपने अपने बच्चे की जान लेने की नीयत से कहीं फेंक दे वह मां नहीं डायन होगी। खुनियांव क्षेत्र में ऐसी ही एक कलकित मां ने अपने बच्चे को मरने के लिए गड्ढे में फेंक दिया, मगर कुदरत का करिश्मा देखिए, वह बच्चा न केवल बच गया, वरन उसे एक पालनहार मां के रूप में “यशोदा” भी मिल गई।
बताया जाता है कि जिले के इटवा-बांसी मार्ग खुनियांव विकास खण्ड के ग्राम मझौवा की कुछ महिलाएं रविवार की प्रातः भोजन पकाने के लिए लकड़ी बीनने गयीं थी कि ग्राम गंगवल को जोड़ने वाले मोड़ के बगल वाले गड्ढे में से किसी बच्चे के रोने की आवाज सुनकर पास गयीं तो गड्ढे में लाल कपड़ों में लिपटा नवजात शिशु देखकर स्तब्ध रह गयीं उन्हीं महिलाओं में से मझौवा गांव के निवासी रामविलास की पत्नी मान्ती देवी ने आगे बढ़कर गड्ढे से बच्चे को गोद में उठा लिया।
लावारिस हालत में नवजात शिशु मिलने की खबर तुरन्त ही आसपास फैल गई और देखते ही देखते सैकड़ों की भीड़ जमा हो गयी तथा गड्ढे में लावारिस अवस्था में नवजात मिलने की सूचना पर स्थानीय पुलिस भी मौके पर पहुंच गई और नवजात के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए मान्ती देवी पत्नी रामविलास के साथ प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र खुनियांव पहुंचाया जहां प्राथमिक उपचार के पश्चात डॉक्टरों ने बच्चे को स्वस्थ बताते हुए खतरे से बाहर बताया।
नवजात बच्चे को भगवान की देन मानते हुए रामविलास एवं उनकी पत्नी मान्ती ने अपनी सन्तान के रूप में स्वीकार करते हुए पालन-पोषण का दायित्व उठाने का निर्णय लिया।पहले से ही दो पुत्र एवं दो पुत्रियों के माता-पिता रामविलास और उनकी पत्नी मान्ती देवी ने कहा कि भगवान ने हमें पांचवीं सन्तान दी है जो कि हमारे लिए अनमोल है।
रामविलास और मान्ती के इस साहसिक निर्णय की सराहना करते हुए लोग साथ ही उस कलयुगी माँ को कोस भी रहे जिसने अपने कृत्य की सजा इस नवजात को दी एवं माँ जैसे रिश्ते पर कालिख पोतने का काम किया।