कपिलवस्तु सीट से कांग्रेस पार्टी लगा सकती है दिनेश वर्मा पर दांव
पूर्व विधायक श्रीमती गेंदा देवी के पुत्र देवेन्द्र कुमार उर्फ गुड्डू, पूर्व सीट सीट के पूर्व प्रत्याशी कैलाश पंछी हैं कांग्रेस के अन्य दावेदार
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। जिले की सदर सीट, यानी कपिलवस्तु विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के उम्मीदवारों की सक्रियता बढ़ने लगी है। पारम्परिक रूप से यह सीट कांग्रेस विरोधी गढ़ के रूप में जानी जाती है। वर्तमान में कांग्रेस की नाजुक हालत है फिर भी यहा से दावे दारों की लिस्ट लम्बी है। उनके विश्वास का आधार प्रियंका गांधी की सक्रिया है। दावेदारों का मानना है कि इस चुनाव में कांग्रेस का वोट प्रतिशत बढ़ेगा और उनका प्रदर्शन जीतने लायक रहेगा।
फिलहाल कांग्रेस की ओर से कपिलवस्तु सुरक्षित सीट के लिए आधा दर्जन से अधिक दावेदार हैं। जिनमें कैलाश पंछी 2012 का चुनाव लड़ चुके हैं। उनका प्रदर्शन उस चुनाव में बेहद दयनीय रहा था। उन्हें मात्र 11 हजार वोट मिले थे। इसके पूर्व वहां से कांग्रेस प्रत्याशी ईश्वर चंद शुक्ल जीत हासिल कर विधायक बने थे, लेकिन सीट के सुरक्षित हो जाने से उन्हें यहां से जाना पड़ा। उनकी जगह पर कैलाश पंछी आये तो कांग्रेस को इस सीट पर अब तक का सबसे कम वोट मिला। इसके अलावा अमेठी के एक अन्य नेता राम लिन पथिक भी यहां से चुनाव लड़ने का मन बना रहे है, लेकिन उन्हें कोई पहचानता तक नहीं है। न ही वह अभी तक यहां देखे गये हैं।
अब यहां यहां से मात्र दो नेता ही ऐसे हैं जो क्षेत्र में सक्रिय देखे जा रहे हैं। एक देवेन्द्र कुमार गुड्डू पूर्व विधायक श्रीमती गेंदा देवी के बेटे हैं। वह शिक्षित और राजनीतिक दृष्टि से परिपक्व हैं। उनकी पत्नी यहां की अच्छी चिकित्सक हैं। मगर उनकी दिक्कत यह है कि वह टिकट मिलने के बाद ही भाग दौड़ करना चाहते हैं।शायद चुनाव से पूर्व अधिक भागदौड़ न कर खर्च को कम करना उनकी चुनावी रणनीति का हिस्सा हो।
सबसे तगड़ा दावा
एक अन्य नेता दिनेश कुमार वर्मा हैं। वह भी बेहद शिक्षित और मेहनती हैं। वह दशक भर से क्षेत्र के शादी, विवाह, मृत्यु आदि के अवसरों पर इमदाद करने के इरदे से समाज में सार्थक भूमिका निभा रहे हैं। पार्टी के र्काक्रमों में बढ़ चढ़ कर भाग लेते हैं। उन्हें 2012 के चुनाव में टिकट भी मिल रहा था, मगर अंतिम समय में वे एक राजीतिक षडयंत्र के शिकार हो गये। फिर भी पार्टी में रह कर सदा कार्यक्रमों में आगे रहते हैं। वैसे अधिकतर कांगेस कार्यकर्ताओं का कहना है कि वह आर्थिक रूप से काफी शक्तिशाली हैं। ऐसे में पार्टी उनको टिकट देती है तो वह सपा बसपा और भाजपा के उम्मीदवारों को जोरदार टक्कर देने में सक्षम साबित हो सकते हैं।
कौन हैं दिनेश कुमार वर्मा?
दिनेश कुमार वर्मा शिक्षा से एमए हैं। इटवा विधानसभा क्षेत्र निवासी वर्मा 2000 से कपिलवस्तु की राजनीति कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने शह में अपना आवास भी बना लिया है। वा गैसे ऐजेंसी का कारोबार है। उनके दो दो पेट्रोल पंप पास होना उनकी अर्थिक सक्षमता का गवाह है। सभी जानते हैं कि आजकल चुनाव में धन की भूमिका महत्वपूर्ण है। दिनेश कुमार वर्मा २०१२ में इस सीट से टिकट पा रहे थे लेकिन अंतिम क्षणों में एक भयानक साजिश का शिकार हो गये। कांग्रेस के पुराने नेता अनिल सिंह अन्नू कहते हैं कि अगर इस बार पार्टी ने उन पर भरोसा जताया तो कांटे की टक्कर में जीत संभव हो सकती है।