कपिलवस्तु महोत्सव: प्रशासन और नेताओं ने खींचा हाथ, मगर सांस्कृतिक संध्या, कवि सम्मेलन एवं मुशायरा होगा
कोरोना के कारण इस बार नहीं हो रहा कपिलवस्तु महोत्सव
स्तूप पूजन, प्रतिमाओं पर माल्यार्पण तक सिमटा प्रशासन
अजीत सिंह
सिद्धार्थनगर। जनपद स्थापना दिवस के मौके पर इस बार कोरोना महामारी के कारण कपिलवस्तु महोत्सव नहीं हो पा रहा है। जिलेबके जिम्मेदार नेताओं ने भी अपने हाथ खड़े कर लिए हैं। प्रशासन की ओर से मुख्य स्तूप पर पूजन-अर्चन और भगवान बुद्ध की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण कार्यक्रम ही रखा गया है। इस बीच शहर के प्रबुद्ध वर्ग की ओर से 29 दिसंबर को एक दिवसीय सांस्कृतिक संध्या, कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का आयोजन किया गया है।
जनपद स्थापना दिवस स्थानीय आयोजन समिति के सचिव नितेश पांडेय ने बताया कि लोहिया कला भवन में दोपहर एक बजे से बच्चों का सांस्कृतिक कवि सम्मेलन, सायं पांच बजे से अखिल भारतीय कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का आयोजन किया गया है। प्रतिभाग करने वालों में मोहन मुंतजिर, बादशाह प्रेमी, योगेंद्र सुंदरियाल, सत्यमवदा शर्मा, डॉ. ज्ञानेंद द्विवेदी, नूर कासमी, ब्रह्मदेव शास्त्री, पंकज सिद्धार्थ, नियाज आजमी, डॉ. जावेद कलाम, नियाज कपिलवस्तुवी, रत्नेश रतन चतुर्वेदी, संघशील झलक, जावेद सरवर, डॉ. गोविंद प्रसाद ओझा प्रमुख कवि एवं शायर शामिल हैं।
इस अवसर पर विकास क्षेत्र बर्डपुर के मरवटिया कुर्मी निवासी शिक्षाविद एवं सेवानिवृत्त खंड शिक्षा अधिकारी श्रीपति प्रसाद चौधरी की ओर से लिखी गई कपिलवस्तु के ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर लिखित शोध पुस्तक कपिलवस्तु का विमोचन भी होगा। सचिव ने जनपद के बुद्धजीवियों एवं गणमान्य व्यक्तियों से कार्यक्रम में विविध कार्यक्रमों में उपस्थित होने का अनुरोध किया है।
बुद्धिजीवियों की तड़प
जिले के कई बुद्धिजीवीयों के दिल में कार्यक्रम के न होने से दुःखी है। उनका कहना है कि इस जिले में दो दो मंत्री और सांसद के अलावा तीन अन्य विधायक भाजपा के ही है और जनपद स्थापना दिवस पर मनाया जाने वाला कपिलवस्तु महोत्सव नहीं हो पा रहा है यह शर्म की बात है। क्या कोई चुनाव या सरकारी कार्यक्रम जिसमें हजरों की भीड़ इकट्ठी होती है वह कोरोना के कारण रोका गया है। अभी हाल में ही बिहार चुनाव सम्पन्न हुआ है।