शोहरतगढ़ निवासी व पकड़ा गया कथित आतंकवादी कमांडर राशिद आखिर है कौन?
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। शोहरतगढ़ थाने के अतरी गांव के लोग रविवार को शोहरतगढ़ थाने के अतरी गांव के लोग रविवार को उस वक्त हैरत में पड़ गये जब उन्हें पता चला कि उनके गांव का कनेक्शन भी आतंवादी गतिविधि से जुड़ गया है। और उनके गांव का 38 वर्षीय व्यक्ति राशिद आतंकी गतिविधियों में गिरफतार कर लिया गया है। मुंबई में मकानों में पीओपी का काम करने वाले मो राशिद को अरेस्ट करने वाली टीम ने राशिद को आंतकी कृत्यों में कथित तौर संलिप्त पाया है। इसी आरोप में बस्ती में एसटीएफ की टीमों ने उसे दबोचा है। लेकिन गांव वालों को अब भी इस बात का पुख्ता विश्वास नहीं कि गरीबी में जी रहा मोहम्मद राशिद ऐसे काम भी कर सकता है।
क्या है राशिद की पारिवारिक पृष्ठभूमि
मुम्बई में पिछले कई सालों से रह रहा राशिद एक निम्न मध्यम वर्गीय व्यक्ति है। वह चार भाइयों में तीसरा है। भाइयों में बंटवारा है। उसके पास में मा़त्र चार विस्वा जमीन है। राशिद की शादी हो चुकी है। उसके 2 लड़के और 1 लड़की है। बड़ी लड़की 11 साल की है। उसके बाद लड़का फौवाद 7 साल का है पढ़ाई करता है और सबसे छोटा बेटा हंजला की उम्र सिर्फ 3 साल है। उसने पैसे के अभाव में इंटर कक्षा के बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी। अंत में परिवार का अभाव देख कर मुम्बई चला गया और पीओपी का काम करने लगा। कई सालों से मुम्बई में काम करने के बावजूद उसके घर की हालत बहुत अच्छी नहीं दिख रही है।
इस घटना के बाद राशिद की पत्नी तो अपने पति को निर्दोष कह रही है, मगर गांव वाले डर के कारण उसके परिवार के करीब नहीं जा रहे हैं। लोगों का डर है कि वे अगर राशिद के घर हमदर्दी में जाएंगे तो संभव है कि वे भी पुलिस की नजर में चढ़ जाएं। राशिद कम बोलने वाला आदमी था। गांव वालों के अनुसार वह किसी से ज्यादा मतलब नहीं रखता था। लेकिन उसकी कम बोलने और किसी से न घुलने मिलने की आदत को कुछ लोग शक की निगाह से देख रहे हैं। ऐसे लाग सोचते हैं कि हो सकता है कि वह गलत काम में लिप्त हो। इसलि लोगों से दूर रहता हो।
कैसे पकड़ा गया राशिद
याद रहे कि रविवार को एसटीएफ ने राशिद को आतंकी गतिविधि और पीएफआई के कमांडर होने के आरोप में बस्ती से गिरफतार किया है। 11 मार्च को उसे मुम्बई के लिए ट्रेन पकड़नी थी। इसके लिए वह घर से तैयार होकर निकला था। मगर पहले की जानकारी के आधार पर एसटीएफ ने उसकी घेराबंदी कर रविवार को उसे दबोच लिया। पुलिस के मुताबिक पकड़े जाने के संदेह में उसने ट्रेन छोड़ दी और वहां से निकल गया। मगर रविवार को वह एसटीएफ के हत्थे चढ़ ही गया।
गांव वाले यकीन से कुछ भी नहीं कह पाते
लोगों के अनुसार मुंबई से घर आने के बाद राशिद सुबह घर से निकलता था और शाम को घर आता था। दूसरी तरफ एसटीएफ का दावा है कि वह नये लड़कों का ब्रेनवाश कर उन्हें आतंकी गतिविधियों की तरफ मोड़ने का कार्य करता है। मुकामी पुलिस का कहना है कि हो सकता है कि उसने जिले के कुछ युवाओं को पीएफआई की तरफ ले जाने का काम किया हो। गांव वालों के मुताबिक यदि ऐसा काम उसने सचमुच में किया है तो यकीनन यह खतरनाक और देश की सुरक्षा के लिए खतरा है और उसे सजा मिलनी ही चाहिए। जाहिरा तौर पर उसके अवांछनीय तत्व होने का शक ग्रामीण नहीं कर पाते। इसलिए उसके बारे में गंभीरता से जांच की जरूरत भी बताते हैं। अब तो अदालत ही उसके बारे में फैसला लेगी और दोषी पाए जाने पर कोई सजा सुना सकेगी।
पकड़े गये दो कथित आतंकी पहले छूट चुके हैं
साद रहे कि जिले के रहने वाले दो व्यक्ति पहले भी भी आतंकाद के जुर्म में पकड़े जा चुके हैं, जो कानूनी लड़ाई में निर्दोष साबित हुए है। इनमें से एक अलीगढ. में विद्यार्थी रहे डुमरियागंज के डा. मोबीन थे। जिन्हें बमकांड सहित कई जुर्म में 2005 के आस पास पकड़ा गया था। अभी कुछ दिन पहले कोर्ट ने उन्हें निर्दोष मान कर रिहा किया है। इससे पूर्व खेसरहा निवासी एक व्यक्ति जो कश्मीर यूनीवर्सिटी में प्रोफेसर थे, उन्हें मुम्बई में एक षडयंत्र रचने के आरोप में सीबीआई ने पकड़ा था, मगर राजस्थान की टाडा अदालत से वह भी जमानत पाकर बाद में निर्दोष छूटे थे।