गंगा में निर्मल धारा रहने दो, सत्य अहिंसा भाईचारा रहने दो

November 16, 2018 10:11 AM0 commentsViews: 307
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मेराज़ मुस्तफा

इटवा, सिद्धार्थनगर। पण्डित जवाहर लाल नेहरु और मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की याद में इटवा तहसील क्षेत्र के खुनियांव अंतर्गत आने वाले रेहरा उर्फ भैसाही में अब्बास चौधरी मेमोरियल एजुकेशनल ट्रस्ट के अध्यक्ष शाहिद सिराज द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन व मुशायरे में गैर जनपद व महाराष्ट्र से आए कवियों व शायरों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं की जमकर वाहवाही लूटी।

मंगलवार की रात्रि क्षेत्र के रेहरा उर्फ भैसाही स्थित अब्बास नगर में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू व प्रथम शिक्षामंत्री मौलाना अबुल कलाम आजाद की याद में आयोजित कवि सम्मेलन व मुशायरे का आगाज मुख्य अतिथि उपजिलाधिकारी इटवा त्रिभुवन कुमार ने सर्वप्रथम दीप प्रज्वलित कर पंडित नेहरू व मौलाना आजाद की फोटो पर माल्यार्पण कर अपने सम्बोधन में दोनों अजीम हस्तियों के जीवन पर रोशनी डालते हुए उनके आदर्शों को आम जिंदगी में उतारने की अपील की।

उपजिलाधिकारी त्रिभुवन कुमार ने कहा कि इस तरह के मंचो पर हिंदी उर्दू अदब के लोग एक साथ बैठकर सिर्फ अपनी रचनाओं को ही नही आपके समक्ष रखते हैं बल्कि देश व समाज को एक संदेश देते हैं कि यह भारत देश गंगा-जमुनी तहजीब का देश है यहां राम भी बसते हैं तो गौतम बुद्ध ख्वाजा गरीब नवाज व गुरुनानक देव भी उनके साथ इसी भारत में बसकर भाईचारे व अमन-ओ-मोहब्बत का पैगाम देते हैं।

कार्यक्रम की औपचारिकता को पूर्ण करने के बाद कवि सम्मेलन व मुशायरे की शुरुआत रसूल पाक सल्ल.की शान में नातिया कलाम से मासूम मिर्जा गालिब कुशीनगरी ने किया इसके बाद शायर पंकज सिद्धार्थ ने अपने कलाम “आशिकों को राजकाज से मतलब नही कोई, उनको तो बस अपने यार का दीदार चाहिए” पेश करके नौजवानों की खूब वाहवाही लूटी।

वरिष्ठ कवि ब्रह्मदेव शास्त्री’पंकज’ ने अपनी रचना “गंगा में निर्मल धारा रहने दो, सत्य अहिंसा भाईचारा रहने दो” प्रस्तुत कर राष्ट्रीय एकता का बेहतरीन संदेश दिया।शायरा चांदनी शबनम ने “मैं तेरे प्यार में यार मदहोश थी, तेरी यादें समेटे मैं बेहोश थी” गीत से युवाओं के दिल की धड़कन बढ़ा दी। आमिर सुहेल ने वर्तमान हालात पर अपनी शायरी “लुटी है एक बेटी तो सबका सम्मान लुटा है” पढ़कर सभी को सोचने पर विवश कर दिया तो हास्य व्यंग्य के कवि विकास बौखल ने अपनी रचनाओं और टिप्पणियों से महफिल को ठहाके-कहकहों से भर दिया।

डॉ.चेतना पांडेय ने अपनी रचना “मेरे इस गांव में आकर सियासत हार जाती है यहां शाहिद भी श्री राम का श्रृंगार करते हैं” सुनाकर श्रोताओं का दिल जीत लिया साथ ही समाज को सियासी रूप से बांटने वालों पर कड़ा प्रहार किया तो सुहेल आजाद मालेगांवी ने गजल व नज्म पेश कर मुशायरे को एक नया आयाम दिया।

शायरा गुले सबा ने “नजर से नजर मिलाओ तो कोई बात बने, मेरे करीब तुम आओ तो कोई बात बने” पेश करके खूब तालियां बटोरी तो वहीं डॉ.बलराम त्रिपाठी ने “लफ्जों में खुदा दिखाई दे, अब मुझे ऐसी रोशनाई दे” जैसी गजलों से खूब समां बांधा। नजीर मलिक, डॉ.सुशील सागर, शादाब शब्बीरी, मंजर अब्बास, राकेश त्रिपाठी’गंवार’, जमाल कुद्दूसी सहित अन्य कवियों व शायरों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मन मोह लिया।

मुशायरे की अध्यक्षता डॉ. ज्ञानेंद्र द्विवेदी’दीपक’ एवं निजामत नियाज कपिलवस्तुवी ने किया।इस दौरान कमरूज्जमां खां, डॉ.अखलाक हुसेन, परवेज अहमद, वीरेन्द्र सिंह, शाहिद हुसेन, राशिद सिराज, अजीत सिंह, असरार अहमद फारूकी, इकराम खां, रवि वर्मा सहित आयोजन समिति के सभी सदस्य व सम्मानित क्षेत्रवासियों की मौजूदगी रही। आयोजक शाहिद सिराज ने आए हुए अतिथियों, कवियों व शायरों के साथ उपस्थित सभी लोगों के प्रति आभार प्रकट किया।

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