साइकिलों से ढो़-ढो कर खाद को नेपाल पहुंचा रहे तस्कर, सीमाई पुलिस केवल वसूली में व्यस्त
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। बढ़नी, सिद्धार्थनगर। रबी के सीजन की तैयारी हो चुकी है। इस सीजन के शुरू मेंकिसानों को खाद की जरूरत अक्षाकृत ज्यादा पड़ती है। नेपाल में उर्वकों की भरी कमी है। वह भरत की अपेक्षा महंगी भी है। इसलिए वहां के खाद की जरूरत भारतीय क्षेत्र से तस्करी के माध्यम से पूरी की जा रही है। चूंकि लाकडाउन के काण वाहनों से तस्करी में कठिनाई है, इसलिए तस्करों ने अब साइकिल चलाने वालों को कैरियर बना रखा है। जिससे भारत और नेपाल के सरहदी इलाके से रसायनिक खाद और उन्नतशील बीज की धड़ल्ले से हो रही है।
सूत्रों के मुताबिक यह तस्करी जिले के बजहा पकड़ीहवा खूनुवा बसंतपुर बढनी कपिलवस्तु, ककरहवा, ठोठरी कलनडिहवा घरूआर मडनी आदि स्थानों के रास्ते कराई जा रही है। यउ आप भारत नाल सीमा पर बनींकिसी पगडंडी पर खड़े हो जाएं तो आपको साइकिलों पर खाद की बरिया लाद कर नेपाल जाते लोगों का झुंड दिख जाएंगा। यह लोग वास्तव में तस्कर नहीं बल्कि उनके करियर होते हैं, जो प्रति बोरी की दर से भुगतान पाते हैं। मुख्य तस्कर तो पुलिस की नजर और पकड़ से कहीं दूर बैठा हुआ मिलता है।
जहां तक तस्करी रोकने का सवाल है केन्द्र और प्रदेश दोनों ने ही इससकी चौकस व्यवसथा कर रखी है। केन्द्र ने पूरे बार्डर पर एसएसबी को तैनात कर रखा है और प्रदेश की समीवर्ती थानों की पुलिस पर तस्करी रोकने की जिम्मेदारी है। परन्तु बताया जाता हैकि दोनों ही बलों में बैठे भ्रष्ट तत्व तस्करों से जबरदस्त सांठ गांठ बना कर धंधा चलवा रहे हैं और लोग कहते हैकि इसमें उनका हिस्सा बंधा होता है।ऐसे में यदि किसी इमानदार सुरक्षा कर्मी ने उनको पकड़ा भी तो केवल कैरियर फंसता है और तस्कर बचा रहता है।
जानकार बताते हैं कि वैसे भी बार्डर पर अधिकांश वही लोग पकड़े जाते है जो या तो जरूरतमंद किसान होते है या फिर वे कैरियर होते हैं, जिनके मालिक तस्कर पुलिस को बिना हिस्सा दिये चोरी से तस्करी कराते हैं। इसलिए जरूरत इस बात की है कि नवागत पुलिस अधीक्षक इसकी समीक्षा करें और तस्करी के रोक थाम के लिए टीम बना कर स्वय इसकी समीक्षा व निगरानी कार्य करें, तभी इसपे अंकुश लग सकेगा।