अलाउदृदीन खिलजी ने दिया था जिगिना धाम मंदिर को 84 गांव
एम. आरिफ/जटाशंकर सोनी
इटवा, सिद्धार्थनगर। तहसील मुख्यालय से लगभग दस किमी दूर उत्तरी छोर पर स्थित जिगिनाधाम का प्राचीन मंदिर कई सभ्यता एवं संस्कृतियों का इतिहास समेटे हुए है। धाम के इस मंदिर में लक्ष्मीनारायण भगवान का एक प्राचीन मंदिर है। जिस पर प्रत्येक वर्ष अगहन मास के शुक्ल पक्ष तिथि पंचमी को राम विवाह के अवसर पर विशाल मेला भी लगता है।
किंवदंती है कि यहां निवास कर रहे किसान दिनमान चौधरी को एक रात स्वप्न में मंदिर दिखाई पड़ा था। दिव्य मूर्ति ने दिनमान से उस स्थान पर मंदिर निर्माण कराने का आदेश दिया था। मूर्ति बनाने के आदेश पर दिनमान चौधरी ने उक्त स्थान पर पूजन करके मंदिर का नींव खुदवाया।
बताया जाता है कि नींव के दक्षिण तरफ मूर्ति स्वंय प्रकट हुई। मूर्ति की पूजा होती रही तथा मंदिर का निर्माण भी होता रहा। जब मंदिर बनकर तैयार हुआ तो श्रद्धालू मूर्ति को मंदिर में स्थापित करने के लिए इक्कठा हुए। लोगों ने जब मूर्ति के तरफ देखा तो मूर्ति वहां से गायब थी। लोग आश्चर्य में पड गये। लेकिन जब मंदिर की तरफ देखा तो मूर्ति वहां स्वयं स्थापित मिली।
इतिहास कहता है तेरहवीं सदी में बादशाह अलाउद्दीन ने मंदिर को 84 बीघा की बाउड्री व चैरासी गांव देने के बाद प्रत्येक वर्ष 365 स्वर्णमुद्रा मंदिर को देने का आदेश लिख दिया। जिसका रिकार्ड बस्ती मंडल के रिकार्ड रूम पत्रावली संख्या चार में आज भी मौजूद है। बदलते जमाने में मंदिर के पास मात्र एक बाग और कुछ जमीनें शेष बची है।
बीते लगभग 3 वर्ष पूर्व यहां तालाब की खुदाई में एक बेश्कीमती अष्टधातु की मूर्ति भी मिली थी। जो आज भी मंदिर में सुरिक्षत है लोग उस मूर्ति के दर्शन के लिये भी आते हैं। इस ऐतिहासिक धरोहर को बचाने के लिये शासन स्तर से भी कोई कारगर पहल नहीं हो पा रही है। जिससे मंदिर अपना अस्तित्व खोता जा रहा है।
जिगना धाम मेले का शुभारम्भ
इटवा। विगत वर्षो की भांति इस वर्ष जिगना धाम मेला 3 दिसम्बर से शुरू हो गया है, जो 10 दिसम्बर तक चलेगा। इस मेले में नामी गिरामी एवं हास्य कलाकार रंपत हरामी एवं रानी बाला का बजरंग नाट्य परिषद पूर्वांचल बिहार की टीम भी पहुंच चुकी है।