बारिश न होने से सूख रही धान की नर्सरी, किसानों की चिंता बढ़ी
अजीत सिंह
सिद्धार्थनगर। जून का महीना अपने आखिरी चरण में है, मगर बरसात का कहीं पता नहीं है। बिसौरी डालने का सीजन है। इसके बाद धन की रोपाई भी शुरू हा जानी है। मगर रोपााई की कौन कहे अभी बिसौरी भी नहीं डाली जा सकी है। जाहिर है कि धान की फसल पर आसन्न संकट दिखने लगा है। किसान बादलों की ओर आशा से देखते हुए मनौतियां गानने में लगे हैं।
भीषण गर्मी से आसमान से आग के गोले बरस रहे हैं गर्मी से राहत नही मिल पा रहा है आषाढ़ माष खत्म होते ही धान की रोपाई लगभग शुरू हो जायेगी अलिदापुर क्षेत्र पल्टा देवी, मुसहरवा, मुसहरी, रमवापुर खास, गौरा अलिदापुर, बनकटवा, सीतारामपुर, करमहिया, मंझरिया आदि क्षेत्र काला नमक चावल एवं मंसूरी चावल का कटोरा कहा जाता है।यह तराई क्षेत्र है। अस्तु यहां के किसान धान के नर्सरी लगभग लगभग डाल चुके हैं मानसून आते ही धान की रोपाई हो जाये पर इस समय आलम यह है की धान की नर्सरी के लिए पानी का जबरदस्त संकट है।
हालत सह है कि है खेतों मे मोटी मोटी दरारें पड रही हैं। जब कछार और तराई के निचले इलाकों की यह हालत है तो उचास वाली जमीन की हालत और भी खरीब होगी। क्षेत्रीय किसानों शमीम, अशोक, विजय, राजकुमार, अनीस, मनीष यादव, सफीर, कल्लू आदि का कहना है की अगर एक हफ्ते हालत यही रही तो नर्सरी के साथ किसानों की बर्बादी तय है।