न केक कटा न “हैप्पी बर्थ डे” बोला, कक्षा दस की छात्रा कृषा ने ऐसे बटोरीं जन्म दिन की खुशियां
निजाम अंसारी
शोहरतगढ़, सिद्धार्थनगर। हाई स्कूल में पढ़ने वाली पन्द्रह वर्षीय कृषा के घर न जन्मदिन का केक कटा न ही उसे किसी ने “हैप्पी बबर्थ डे टू यू” ही बोला और न ही किसी ने कोई गिफ्ट ही दी, मगर जब वह शाम को घर पहुंचीं तो उसका दामन उपहारों और ‘खुशियों से भरा हुआ था। वह महसूस कर रही थी कि उसको जो शंति व खुशी मिली है, वह नसीबों वालों को ही मिलती है।
मुख्यालय से 25 किमी दूर शोहरतगढ़ कस्बा निवासी हाई स्कूल की छात्रा कृषा ने अपने जन्म दिन पर कुछ नया करने को सोचा। उसका परिवार शहर का सम्पन्न व्यवसाई है अतः पैसे की कमी नहीं है। अतः मंगलवार को उसने अपने पिता से बात कर पैसे लिए उससे फल, कपड़े व कुछ और सामान खरीदे फिर निकल पड़ी वृद्धा आश्रमों व विकलांग बच्चों की सहारा देनी वाली सस्थाओं की ओर।फिर वह कई ऐसे आश्रमों में दिन भर घूमी। उसने वृद्ध आश्रम और दिव्यांग बच्चों की संस्था में जाकर उन्हें भोजन कराया फल और मिठाईयां भी बांटी। इस दौरान बिटिया कृषा वृद्धा आश्रम के सभी बुजुर्गों के पैर छू कर आशीर्वाद भी लेती रही। इस प्रकार शाम तक घर लौटने पर उसका दामन खुशियों और आशर्वाद रूपी उपहारों से भर गया।
मंगलवार को कृषा ने मुख्यालय के पुरानी नौगढ़ स्थित वृद्ध आश्रम, मधुबेनिया स्थित दिव्यांग बच्चों की संस्था के परिसर में जाकर गरीब बच्चों को खाना खिलाया। इस कार्य के बाद गरीबों ने उन्हें बहुत सारी बधाइयां दीं व कृषा की लंबी आयु की कामना की। अपनी बेटी कृषा के इस कृत्य से अभिभूत उसके पिता राजेन् रूंगटा जो स्वयं काफी धामिर्क व्यक्ति हैं, कहते हैं कि वे बेटी के इस काम से अभिभूत हैं।
उन्होंने कहा कि उनकी बेटी ने जन्मदिन पर फजूलखर्ची के बजाए अनाथालय में सैकड़ों बेसहारा गरीब लोगों को खाना खिलाया। इस प्रकार उसने एक नई परंपरा की शुरुआत की है। उन्होंने बताया कि जनसेवा ही असली सेवा है। उन्हें गर्व है कि उनकी बेटी भी उन्हीं की तरह मानवाता में विश्वास करती है।