जमीन की पैमाइश में पहुंच गये दो सीओ और पचास जवान, पुलिस की इतनी तेजी? “कुछ तो गड़बड़ है ”
नजीर मलिक
सीआईडी नामक सीरियल देखने वाले जानते हैं कि किसी मामले में छानबीन कर रहे एसीपी अक्सर अपने पुलिस इंस्पेक्टर दया से कहते हैं, “ कुछ तो गड़बड़ है दया?” एसीपी का यह जुमला डुमरियागंज कस्बे में भूमि विवाद के एक मामले में याद आ रहा है। रक्षाबंधन के दिन अगर दो दो पुलिस सर्किलों की पुलिस अचानक एक विवादित मामले में हाथ डालने का काम करती है, तो मामला “गड़बड़” ही लगने लगता है।
डुमरियागंज कस्बे में अधिवक्ता शक्ति प्रकाश और मुन्नी देवी के बीच जमीन का एक विवाद है, जिस पर मुकदमा भी चल रहा है। ठीक रक्षाबंधन के दिन अचानक सीओ डुमरियागंज व सीओ इटवा अपने साथ तहसीलदार, लेखपाल व तकरीबन 50 पुलिसकर्मियों को लेकर मौके पर पहुंचे और घुटने पर पानी में डूबी भूमि पर जबरन लोहे का टुकड़ा गड़वा दिया। तब से शक्ति प्रकाश हर जगह न्याय की गुहार कर रहे हैं, मगर उनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही।
अधिवक्ता शिव प्रकाश ने सीओ से जानना चाहा कि कस्बे के चकबंदी में होने के बावजूद बिना अभिलेख के राजस्व विभाग का लेखपाल कैसे पैमइश कर सकता है? इस पर सीओ ने उन्हें झिड़क दिया और बोले, उन्हें किसने बुलाया है। कपिलवस्तु पोस्ट के पास इस बातचीत का विडियो रिकार्ड भी हैं।
सवाल है कि आखिर पुलिस एक जमीनी विवाद में क्यों इतनी दिलचस्पी ले रही है। ऐसे विवादों में दारोगा या नायब दारोगा भी बिना दबाव या नजराने के बडी मुश्किल से मौके पर जाते है, लेकिन वहां पचास जवानों के साथ दो दो सर्किलों के सीओ द्धारा एक पक्ष को सुने बिना मनमानी करने के पीछे क्या रहस्य हो सकता है?
कपिलवस्तु पास इस प्रकरण का विडियो है जिसमें सीओ और अधिवक्ता शक्ति प्रकाश के बीच की बातचीत से बहुत कुछ समझा जा सकता है। पुलिस ने इस विडियो को घर की महिलाओं से छीनने की कोशिश भी की,मगर कामयाब न हो पाई।
चर्चाएं तो बहुत हैं। जानकार इसे जनपद के बाहर के एक वरिष्ठ अफसर के इशारे पर की गई कार्रवाई बता रहे है। बार एसोसिएशन डुमरियागंज के अध्यक्ष मलिक इकबाल यूसुफ कहते है कि अभी एक पखवारा पहले चकचई में दिनदहाडे मर्डर हुआ। मौके पर चार जवान पहुंचे। जबकि इस मामले में दो दो सीओ और पुलिस के पचास जवान पहुंच गये, वह भी ऐन रक्षाबंधन पर्व के दिन। जाहिर है कि उन पर किसी प्रभावशाली का वरदहस्त है।
इस बारे में सीओ डुमरियागंज का कहना है कि वह एसडीएम के आदेश पर गये थे। अगर ऐसा है, तो सीओ इटवा वहां क्यों और किसके आदेश पर गये? इसका उनके पास कोई जवाब नहीं है।अगर सब लोग वैध आदेश पर ही गये थे, तो लेखपाल के पास अभिलेख क्यों नहीं था? इस सवाल का जवाब भी अनुत्तरित है।
प्रकरण को लेकर डुमरियागंज के अधिवक्ता हड़ताल पर है। जिला मुख्यालय पर भी वकील हड़ताल कर चुके हैं। मामले की जानकारी से जिलाधिकारी को अवगत कराया जा चुका है। फिर भी पुरानी स्थिति बहाल नही हुई, जाहिर है कि मामले में हस्तक्षेप करने वाला कुछ अधिक ही प्रभावशाली है।
बार एसोशिएसन डुमरियागंज के अध्यक्ष मलिक इकबाल यूसुफ का कहना है कि सिद्धार्थनगर प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष का गृह जनपद है। अभी पिछले सप्ताह बिस्कोहर कस्बे में पुलिस जनता में संघर्ष हो चुका है। डुमरियागंज के अधिवक्ता भी आक्रोशित हैं। प्रशासन को चाहिए कि वह मौके की नजाकत समझ कर समस्या का समाधान करे।