52 माह से वेतन नहीं, सरकार को मदरसा शिक्षकों की कोई फिक्र नहीं
अजीत सिंह
सिद्धार्थनगर। जिसे एक महीने का पगार न मिले उसे घर चलाना मुश्किल हो जाता है हमें तो 52 माह से एक फूटी कौड़ी नहीं मिला है। ये शिर्फ हिन्दू-मुस्लिम, मन्दिर-मस्जिद, हिन्दुस्तान-पाकिस्तान करके हमें गुमराह कर रहे हैं। सबका साथ सबका विकास और सबका विश्वास एक हाथ कुरआन और दूसरे हाथ में कम्प्यूटर शिर्फ चुनावी जुमला मात्र था।
यह बातें मदरसा आधुनिकी शिक्षक संघ के जिला प्रभारी अतिउल्ला खान ने कही। वे सरकार द्वारा वेतन न दिए जाने के कारण बेहद दुखी हैं। उन्होंने दुखी मन से कहा कि, एक एक कर सभी साथी हम लोगों का साथ छोड़ कर जा रहें हैं लेकिन इस गूंगी-बहरी सरकार को हमारी कोई फ़िक्र नहीं है इसे शिर्फ सत्ता की चिंता है ये छल-कपट सरकारी मशीनरी का इस्तेमाल कर सदा सत्ता में बनी रहनी चाहती है। इन मदरसा आधुनिक शिक्षकों के मौतों का ज़िम्मेदार कौन है ?
आज एक और जांबाज मदरसा आधुनिक शिक्षक साथी मास्टर फिरासत हुसैन मदरसा लतीफो दारूल उलूम पीपल नगरी मुरादाबाद इस दुनियाँ को अलविदा कह दिया। अल्लाह पाक़ से दुआ है कि अल्लाह पाक़ अपने हबीब के शदक़े तुफेल में मरहूम की मगिफ़ेरत फरमाए और उनके परिवार को शब्रे ज़मील अता फरमाए।