अलग-अलग सड़क हादसे में तीन की दर्दनाक मौत, मृतकों में पांच वर्षीय बालिका भी
जिले में मार्ग दुर्घटनाओं में इजाफा, प्रशासनिक लापरवाही से आखिर कब तक मरते रहेंगे लोग
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। बीते गुरवार को जिले में हुए अलग अलग सड़क हादसों में तीन लोगों की मौत हो गई। मृतेों में एक पुरुष, एक महिला के अलवा एक मासूम बच्ची भी शामिल है। तीनों ही मौतों के कारणों का विश्लेषण करने पर इनके पीछे प्रशासन का गैरजिम्मदार रवैया स्पष्ट हो जाता है। अब उन तीन परिवारों की सुधि कौन लेगा, जिनके घरों में कोहराम मचा हुआ है।
किस किस की हुई मौत
जानकारी के अनुसार पहली घटना जिला मुख्यालय के पुराने नौगढ़ में हुई।यहां वजीराबद के सगीर नामक 37 साल के व्यक्ति की मौत ट्रैक्टर ट्राली से हुई। दूसरा हादसा भी जिला मुख्यालय के हुसेनगंज चौराहे पर हुआ, जहां पाखरभिटवा गांव के एक चार साल की सुबेना नाम की बच्ची को आटो रिक्शा ने कुचल दिया, जिससे उसकी मौके पर मौत हो गई। इसके अलावा इसी दिन बढ़नी- इटवा मार्ग पर किसुनधरजोत गांव के पास पूनम नाम की एक महिला की बाइक से गरिकर मौत हो गई। पूनम अपने पति की बइक पर बैठ कर इलाज के लिउ बांसी आ रही थी।
कहां कहां हुआ हादसा
पुरानी नौगढ़ क्षेत्र में हुई पहली घटना में मुख्यालय के करीब के गांव वजीराबाद क्षेत्र के 37 साल के सगीर अहमद बाइक से कहीं ज रहे थे। उसी दौरान एक ट्रैक्टर ट्राली की चपेट में आ गये। धायल हालत में उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई।
यहां उल्लेखनीय है कि हादसे की जगह सड़क काफी चौड़ी है, मगर दोनों किनारे के अतिक्रमण के चलते सड़क अभी से पतली हो गई है और प्रशासन इन अतिक्रमणकारियों के खिलाफ जिम्मेदार अफसरान कभी कोई कार्रवाई नहीं करते। ऐसी हालत इटवा, डुमरियागंज, बढ़नी व शोहरतगढ़ आदि में भी देखी जा सकती है। जहां आये दिन ऐसी ही दुघर्टनाएं होतीं रहती हैं।
मुख्यालय पर हुई दूसरी घटना में चार साल की सुबेना की मौत की वजह सड़क पर बढ़ती जा रही खचाखच भीड़ बताई जा सकती है। जिसमें ई रिक्शा चालक दुर्घटना के समय अन्य वाहनों से बचने के चक्कर में सड़क की पटरी पर आयों और नियंत्रण खो कर सुबेना से भिड़ गया। ज्ञात रहे कि मुख्यालय की सड़क पर निरंतर वाहन बढ़ते जा रहे हैं। सड़कों की फुटपाथ अवैध कब्जे से खत्म हो चुके हैं। मगर प्रशासन न तो अतिकमण हटाता है और न हीं सड़क को चौड़ीकरण कराता है।
कितने गैर जिम्मेदार हैं विभाग
सच यह है कि नियम विरुद्ध चल रहे वाहनों पर पुलिस और एआरटीओ विभाग भी कारवाई नहीं करते। इनके कर्मी सड़कों पर चेकिंग के नाम पर केवल धन वसूली के लिए निकलते हैं। ऐसा आम लोगों का आरोप है। इसी प्रकार किसुनधरजोत के पास पूनम की बाइक से गिरकर मौत की वजह बड़ा स्पीड ब्रेकर को होना बताया जा रहा है।
दरअसल सडक बनाने वाला विभाग आम तौर से स्थान स्थान पर स्पीड ब्रेकर तो बनाता है परन्तु वह तकनीकी खामिसों को नहीं देखता। बिना मार्किग वाले ये बे्रकर काफी ऊंचे होते है। पास पहुंचने पर चालक इन्हें अचानक देखता है और चालक जब तक कुछ समझे वाहन असंतुलित हो जाते हैं।
इन सब कारणों से जिले में सड़क हादसे में मरने वालों की तादाद प्रतिमाह औसतन दो दर्जन हो गई है, जिसमें लगातार वृद्धि होती जा रही है। जिनके घरों के लोग इन हदसों में मारते हैं वे भी इसे किस्मत का लिखा मान कर चुप हो जाते हैं। जबकि इसके लिए जनता को प्रशर ग्रप के रूप में जागरूक होकर प्रशासन को जिम्मेदारी महसूस करने के लिए बाध्य करना होगा।