तहसीलदार को पीटने वाले डा. भूपेन्द्र व उनके बेटे को दस साल की कैद, 37 हजार जुर्माना भी
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। तहसीलदार सुभाष च्ंद पांडेय के कैंप कार्यालय में घुसकर उन पर जान लेने के इरादे से हमला करने वाले पिता-पुत्र को जिला जज प्रमोद कुमार शर्मा की अदालत ने दस वर्ष कैद और 37 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। इस मामले में पिता डा. भूपेंद्र सिंह और उनके बेटे को जेल भज दिया गया है। भूपेंन्द्र सिंह जिला मुख्यालय के शिवपुरी कालोनी में रहते हैं। मारने पीटने की यह घटना 7 फरवरी सन 2009 को हुई थी।
घटना के अनुसार सदर तहसील के तहसीलदार सुभाष चंद्र पांडेय अपने आवास पर 7 जनवरी 2009 की शाम एन.टी. राजू प्रसाद पटेल और लेखपाल शिव प्रसाद के साथ अपने आवास पर सरकारी काम निपटा रहे थे। इस दौरान डॉ. भूपेंद्र सिंह और उनका बेटा नीरज उनके आवास परिसर में घुस आए। तहसीलदार के पूछने पर पर डॉ. भूपेंद्र सिंह ने बताया कि वह अपने बेटे को खोज रहे हैं। तहसीलदार ने कहा कि यह उनका आवास है। बेटे को कहीं और जाकर ढूंढिए। इस पर पिता-पुत्र तहसीलदार पर हमलावर हो गए।
ओरोप क अनुसार डॉ. भूपेंद्र ने बेटे नीरज को ललकार कर कहा कि तहसीलदार को खत्म कर दो इसी ने शिवपुरी कॉलोनी की जमीन का विवाद कराया है। इस पर नीरज ने सुभाषचंद्र पांडेय को पटक दिया और मारने की नीयत से गले पर पैर रख कर दबाने लगा। मारपीट देख नायब तहसीदार और लेखपाल जान बचाने के लिए भाग निकले। सुभाष चंद्र पांडेय ने खुद को बचाया और घर के अंदर भाग कर अपनी जान बचाई।
उन्होंने सदर थाने में पिता-पुत्र के खिलाफ घर में घुस कर सरकारी अधिकारी को जान से मारने की नीयत से हमला करने, सरकारी काम में बाधा डालने आदि धाराओं में केस दर्ज कराया था। तब से यह मामला अदालत में विचाराधीन था। बृहस्पतिवार को जिला जज प्रमोद कुमार शर्मा ने पिता-पुत्र को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई, दोनों को जेल भेज दिया गया।
बताते चलें कि चिल्हिया क्षेत्र के रहने वाले भूपेंद्र सिंह पहले गांधी नगर मुहल्ले में किराये पर रहते थे। वर्तमान में शिवपुरी मोहल्ले में अपने निजी मकान में रहते हैं। इसी जमीन को लेकर कुछ विवाद था। बताते है कि झगड़े का सही मूल कारण भी था। झा. भपेन्द्र इससे पहले भ्सी एक मामले को लेकर विवाद में फंस चुके हैं। लेकिन इस विवाद में उन्हें ही नहीं उनके बटे को भी दस वर्ष कैद की सजी मिली है।