मौलाना मदनी सुपुर्द-ए-खाक, नम आंखों से विदाई, जनाजे में सैलाब
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। भारत-नेपाल के प्रख्यात इस्लामिक विद्धान मौलाना अब्दुल्लाह मदनी झंडानगरी को बुधवार दिन में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया। तकरीबन दस हजार लोगों ने उनके जनाजे में शिरकत की। अपने पसंदीदा धार्मिक रहनुमा की याद में हर किसी की आंख छलकी जा रही थी।
मौलाना मदनी के जनाजे की नमाज बुधवार दोपहर को पढ़ी गई। इस मौके पर भारत-नेपाल के तमाम इस्लामिक विद्धान मौजूद थे। जमीयत अहले हदीस के अध्यक्ष खुद जनाजे में शिरकत करने आये हुए थे।
बताया जाता है कि उनके जनाजे में शिरकत के लिए भारत- नेपाल के सीमाई इलाकों के दस हजार लोग मौजूद रहे। तकरीबन दोपहर दो बजे उन्हें कृष्णानगर कब्रिस्तान में दफ्न किया गया।
उनके जनाजे में शामिल होने आये लोग सुबह से ही जुटना शुरू हो गये थे। सभी उनकी शख्सियत और इस्लामिक ज्ञान की चर्चा कर रहे थे। लोगों ने कहा कि इस्लामिक ज्ञान की रौशनी देने वाला एक चिराग बुझ गया।
बताते चलें कि मरहूम मदनी साहब नेपाल के मुस्लिम आयोग के सलाहकार भी थे। इसके अलावा देष विदेश की कई इस्लामिक तंजीमों से जुड़े थे। वह सीमा से सटे नेपाल के झंडानगर उर्फ कृष्णानगर टाउन के रहने वाले थे।
कनीज जोहरा भी हुईं सिपुर्दे खाक
जिले के क्रान्तिकारी सेनानी रहे स्व. हबीबुल्लाह की पत्नी कनीज जोहरा भी आज सुपुर्द-ए-खाक हुईं। उन्हें भी बाद जोहर डुमरियागंज में मिटृटी दी गई। बताते चलें कि स्व हबीबुल्लाह जिले के एक मात्र सेनानी थे जिन्हें अजीवन कारावास की सजा हुई थी। भारत के आजाद होने पर 1947 में उन्हें रिहा किया गया था। स्व जोहरा के दफ्न के मौके पर प्रशासन की तरफ से प्रोटोकाल के लिए तहसीलदार मौजूद रहे।