आजाद डिग्री कालेज विदाई समारोह- थोड़ी खुशी थोड़ा गम, लेकिन सबकी आंखें नम
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। सुख-दुख के मिश्रण भरा माहौल भी अजब होता है। होंठ मुस्कराते हैं और आंखें नम होती हैं। बाडी लैंग्वेज देख कर अंदाज लगाना मुश्किल होता है कि दुख बड़ा है या सुख। कल ठीक यही माहौल मौलाना आजाद डिग्री कालेज के तीसे साल के छात्र-छात्राओं के विदाई समारोह में था लरजते होठ मुस्करा रहेे थे। आंखें चरागां थीं, लेकिन उनमें तेल रूपी आंसुओं का दर्द छलका जा रहा था।
अपने टीचर सरफराज राही को गिफ्ट देते छात्र फरीद काजी
मौलाना अबुल कलाम आजाद डिग्री कालेज जबजौआ के परिसर में बीए तीसरे साल के छात्रों में यहां से निकल कर भविष्य का ताना बाना बुनने का उल्लास था, तो जूनियर दोस्तों से बिछड़ने का गम भी था। दूसरी तरफ जूनियरों में भविष्य की ओर बढ़ने की खुशी थी, तो अपने सरपरस्त सीनियरों से बिछड़़ने का दर्द भी साफ नजर आ रहा था।
कालेज में गीतों, गजलों का दौर चल रहा था। सपने बुने जा रहे थे। सभी एक दूसरे से गले मिल कर तोहफों का आदान प्रदान कर रहे थे। होंठ मुस्करा रहे थे। आंखें गीली थीं, लेकिन सबके मन में एक ही बात थी। जिंदगी के इस मुकाम पर बिछड़ने के बाद कौन जाने इन साथियों से किस मोड़ पर मुलाकात होगी।
ऐसे में रास्ता दिखाने और ढांढस बंधाने की जिम्मेदारी किसी जिम्मेदार की थी। कालेज के प्राचार्य अबू सूफियान मलिक ने इसे बखूबी निभाया भी। उन्होंने कहा कि आज अलगाव की इस दरिया को पार करना क्योंकि आगे खुशियों की मंजिल आपका इंतजार कर रही है।
प्रोग्राम के अंत में छात्र-छात्राओं ने अपने टीचर्स करम हुसैन, एसएम रिजवी, मुबीन अहमद को भी तोहफों से नवाज कर उनकी दुआएं हासिल कीं।
घंटों चले विदाई कार्यक्रम में तामिल फारूकी, जूही नाज, शमा परवीन, नूर, फिरदौस जहां आदि शामिल रहे।