चुनाव जो न करवा देः मीट मछली बांटने के आरोप पर दो प्रत्याशी परिवारों में सरे बाजार लात-घूंसे चले, मुकदमा कायम
चुनाव में पुलिस के एक तरफा रवैये को लेकर सपाइयों ने घेर लिया थाना, मुकदमा कायम करने के बाद ही थाने से हटे
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। जनपद के खेसरहा ब्लाक की पूर्व प्रधान के प्रतिनिधि एवं इसी ब्लाक के पूर्व ब्लाक प्रमुख के प्रतिनिधि के बीच गत दिवस बैलौहा बजार में जम कर मारपीट हुई। दोनों पक्षों में लात घूंसे चलने के बाद अंत में पुलिस आई, लेकिन उसके एक पक्षीय व्यवहार पर सपाई वर्कर उबल गये। फिर उनके पक्ष का भी मुकदमा लिखा गया। झगडों के बारे में बताया जाता है कि दोनों पक्ष इस बार भी चुनाव में एक दूसरे पर मीट माछली बांटने का आरोप लगा रहे थे। घटना कल सायं साप्ताहिक बजार बेलौहा में घटी बताई जाती है।
बताया जाता है कि गत दिवस बेलौहा बाजार (खेसरहा) में में साप्ताहिक बाजार में बेलवा लगुनही ग्राम पंचायत के पूर्व प्रधान प्रतिनिधि रुआब अली व उसी गांव निवासी पूर्व ब्लाक प्रमुख के प्रतिनिधि तुफैल अहमद का आमना सामना हो गया। दोनों अपने समर्थकों के साथ थे। कहते हैं दोनों में एक दूसरे पर मीट मछली बांटने का आरोप लगाया। इस पर बात बढ़ी, जो मार पीट में बदल गई। प्रत्यक्ष दर्शियों के मुताबिक दोना तरफ से जम कर लात घूंसे चले। काफी देर के हंगमा के बाद खेसरहा थाने की पुलिस मौक पर पहुंवी और दोनों नेताओं को पकड़ कर थाने ले आई।
असली तमाशा पुलिस ने किया
मिली जानकारी के मुताबिक थाने पर पहुंचने के बाद पुलिस ने जाने क्या जोड़ तोड की और पूर्व प्रधान रुआब अली को छोड़ दिया मगर पूर्व प्रमुख प्रतिनिधि व सपा नेता तुपफैल अहमद को पुलिस ने नहीं छोड़ा। उन्हें रात भर थाने पर बैठाये रही। इसकी खबर देर रात सपा जिला ध्यक्ष लालजी सादव को दी गई। वह सवेरे ही नगर पालिका अध्यक्ष इद्रीस पटवारी व लगभग 50 कार्यकर्ताओं के साथ थाने पहुंच गये। उन्होंने सवाल उठाया कि पुलिस ने किस कानून के तहत एक पक्ष को छोड़ा व दूसरे पक्ष को थाने में रोका गया है।
इस घटना की खबर पाकर पुलिस क्षेत्राधिकारी बांसी व ज्वाइंट मजिस्ट्रेट भी मौके पर पहुंच गये। इसके बाद भी सपाई वहां से हिलने को तैयार न थे। बताते है कि सपा वर्करों का कड़ा रुख देख कर पुलिस नरम पड़ी। इसके बाद सपा जिलाध्यक्ष लालजी और अफसरों में विचाार विमर्श हुआ। फिर लालजी यादव की मांग पर क्रास मुकदमा लिखा गया तब कहीं सपाई थाने से बाहर निकले। लोग बाग बताते हैं कि पुलिस द्धारा सपाई पक्ष के विरोध का एक मात्र कारण सत्ताधारी दल के नेताओं की नजर में खुद को सुर्खरु बनाना था।