जगदम्बिका पाल को मंत्री मंडल में न लेने से आधा पूर्वांचल में निराशा
अजीत सिंह
सिद्धार्थनगर। मोदी सरकार के मंत्री मंडल गठन में वरिष्ठ सांसद एवं प्रखर वक्ता जगदम्बिका पाल को शामिल न करने से पूर्वांचल के आधे हिस्से में बेहद निराशा है। लोगों का मानना है कि पाल को मंत्री न बनाए जाने से भोजपुरी-अवधी क्षेत्र के लगभग 12 जिलों में विकास की गति धीमी पड़ सकती है।
मंत्री मंडल गठन के समय डुमरियागंज समेत समूचे बस्ती मण्डल के नागरिकों को इस बात की पूरी उम्मीद थी कि सांसद जगदम्बिका पाल को मंत्री मंडल में कोई जगह जरूर मिलेगी। परंतु कल शपथ ग्रहण में वे मंत्री पद से बरतरफ थे। लगातार तीन साल से सांसद चुने जाने व प्रदेश सरकार में कई बार मंत्री पद संभालने का अनुभव रखने के बावजूद उन्हें इस योग्य नहीं समझा गया, जबकि इसके विपरीत कई अनुभवहीन लोगों को मंत्री पद दिया गया है।
जगदम्बिका पाल जैसे अनुभवी नेता को मंत्री पद से वंचित करने के कारण उनकी संसदीय सीट समेत गोरखपुर, बस्ती, देवीपाटन व आजमगढ़ मण्डल के तकरीबन एक दर्जन जिलों में निराशा व्याप्त है। अनेक लोगों का कहना है कि जगदम्बिका पाल एक क्रिएटिव सोच के लीडर है। गोरखपुर-गोंडा लूपलाइन को ब्राडगेज में बदलने, सहजनवा-बांसी-बलरामपुर रेल लाइन के लिए धन स्वीकृत कराने आदि काम में उनकी महती भूमिका रही है। वे मंत्री होते तो कपिलवस्तु व श्रावस्ती का पर्यटकीय विकास तय था, जिससे 23 जिलों में स्वरोजगार के अवसर बढ़ते।
सिद्धार्थनगर मुख्यालय निवासी व हाईकोर्ट एडवोकेट परितोष मालवीय का कहना है कि जगदम्बिका पाल जैसे वरिष्ठ सांसद को मंत्री परिषद से बाहर रखना दुर्भाग्यपूर्ण ही नहीं प्रधानमंत्री के सबका साथ सबका विकास पर प्रश्नचिन्ह भी है।