पूर्वांचल के सर सैयद कहे जाने वाले डॉ अब्दुल बारी नहीं रहे, शिक्षा जगत को अपूर्णीय क्षति
नजीर मलिक
डुमरियागंज,सिद्धार्थनगर। ख़ैर टेक्निकल स्कूल डुमरियागंज के मैनेजर डॉ अब्दुल बारी खान का लखनऊ में इलाज़ के दौरान रात 12:30 बजे निधन हो गया है। इस खबर से समूचे क्षेत्र में शोक की लहर छा गई है। डॉ बारी को आज दोपहर की नमाज के बाद उनके पैतृक गांव कुड़ऊं बौडीहार में सुपुर्द ए खाक किया जाएगा ।
सिद्धार्थनगर जनपद जैसे पिछड़े क्षेत्र में शिक्षा के लिए निरंतर संघर्ष करते रहे।शिक्षा जगत की एक बड़ी शख्सियत डॉ अब्दुल बारी खान, जिनके जीवन का मात्र एक उद्देश्य शिक्षा को जन जन तक पहुंचाना है। उन्होंने बहतर शिक्षा के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया है। डॉ बारी शिक्षा के ज़रिए वो समाज और देश मे ब्यापक बदलाव के पक्षधर थे।
उनका मानना था कि जब व्यक्ति शिक्षित होगा तभी आत्म निर्भर होगा,देश आगे बढ़ेगा।उन्होंने जिला सिद्धार्थ नगर में कई शिक्षण संस्थानों की स्थापना की है ।जिसमें गर्ल्स कॉलेज, तकनीकी शिक्षा केन्द्र, इंटर कालेज, पब्लिक स्कूल और अनाथालयों तक की स्थापना शामिल हैं।आखरी वक्त नब्बे साल की उम्र में भी अकलियतों की शिक्षा के लिए जंग लड़ते रहे।सिद्धार्थनगर जनपद उनका शिक्षा के लिए दिया हुआ योगदान कभी नहीं भूलेगा।
शिक्षा जगत में उनके योगदान के बारे में जानिए
डॉ अब्दुल बारी एक छोटे से गांव, कुड़ऊं बौडीहार में नवंबर 1936 को जन्म हुआ था।फिलहाल डुमरियागंज कस्बा के निवासी हैं। पेशे से चिकित्सक थे, कई सालों तक समाज में चिकित्सक के रूप में सेवा दिया।क्षेत्र को शैक्षणिक रूप से पिछड़ा देख डॉ खान ने तालीम के ज़रिए समाज मे ब्याप्त कुरीतियों और पिछड़े पन को दूर करने का बीड़ा उठाया और अपने मकसद को हासिल करने के लिए पूरे जिले में कई शिक्षण संस्थानों की स्थापना की।
डॉ बारी ने समाज में लड़कियों को न पढ़ाने की मानसिकता को तोड़ते हुए।लड़कियो को बहतर तालीम देने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए 1984 में डुमरियागंज में गर्ल्स कॉलेज की स्थापना की।गर्ल्स कॉलेज में पूर्वांचल के कई जिलों से लड़कियां शिक्षा ग्रहण कर रही हैं। गर्ल्स कॉलेज के स्थापना के बाद समाज में शिक्षा के ताने-बाने को देखते हुए अनाथ और गरीब बच्चों के लिए अनाथालय स्कूल की स्थानपा किया।मौजूदा वक़्त में हजारों की तादात में अनाथ और ग़रीब बच्चे छात्रावास में रह-कर मुफ़्त शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।
डॉ खान यंही नहीं रुके मौजदा वक्त की तकनीकी, विज्ञान की शिक्षा को देखते हुए, 1995 में ख़ैर टेक्निकल स्कूल/सेंटर का स्थापना किया।जिसमें इंटरमीडिएट तक उच्च शिक्षा दिया जा रहा और मिनी आईटीआई के ज़रिए सिलाई,कढ़ाई,कम्प्यूटर, इलेक्ट्रिशियन, फिटर, आदि का प्रशिक्षण दिया जाता है।बड़ी संख्या में युवा प्रशिक्षण प्राप्त कर रोजगार कर आत्मनिर्भर बन गए।ख़ैर टेक्निकल सेंटर युवाओं को रोजगार दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
पूर्वांचल के सर सैयद डॉ अब्दल बारी साहब एक अज़ीम शख्शियत का हमारे बीच से जाना बहुत दुःखद है। नब्बे साल की उम्र में भी अकलियतों की शिक्षा के लिए जंग लड़ते रहे, हमारे लिए वो प्रेरणास्रोत हैं।शिक्षा जगत में आपका योगदान कभी न भूलने वाला है।हम इस दुःख भरी घड़ी में डॉ बारी के परिवार के साथ खड़े हैं।
अज़ीमुश्शान फ़ारूक़ी ने कहा महान शख्शियत डॉ खान का हमारे बीच से जाना बहुत अफसोसनाक है।शिक्षा के क्षेत्र में उनके द्वारा किया कार्य बहुत महत्वपूर्ण है। पीपुल्स एलाइंस डॉ अब्दुल बारी खान के परिवार में इस दुःख की घड़ी में साथ है। एलायंस के शाहरुख खान के मुताबिक डॉ खान का पूर्वांचल में शिक्षा के लिए दिया हुआ योगदान हमेशा याद रखा जाएगा। उनके निधन पर क्षेत्रवासी और शिक्षा जगत में शोक है।