दुखदः प्रख्यात बाल रोग चिकित्सक डा. वाई. डी. सिंह नहीं रहे
अजीत सिंह
गोरखपुर। प्रख्यात बाल रोग चिकित्सक एवं पूर्व एमएलसी डा. वाईडी सिंह का आज सुबह हार्ट अटैक से निधन हो गया। वह 74 वर्ष के थे। उनके निधन से गोरखपुर और आस–पास के जिलों में शोक है।
डा. वाई डी सिंह बीआरडी मेडिकल कालेज के बाल रोग विभाग के अध्यक्ष रहे। उन्होंने अपने समय में बाल रोग विभाग के बेहतरीन बनाने में अथक मेहनत की। इंसेफेलाइटिस के इलाज, स्तानपान प्रोत्साहन के क्षेत्र में उन्होंने अपने साथी चिकित्सकों के सहयोग से उल्लेखनीय कार्य किया। शिशुओं के डिब्बा बंद आहार के खिलाफ अभियान में भी वह सक्रिय रहे।
डा. सिंह ने कानपुर मेडिकल कालेज से एमबीबीएस, एमडी की पढ़ाई की थी। पढ़ाई पूरी करने के बाद वह बीआरडी मेडिकल कालेज में प्रवक्ता के पद पर कार्य करने आए। वह मूल रूप से बस्ती जिले के हरैया क्षेत्र के छपिया गांव के रहने वाले थे।
रिटायर होने के बाद वह अपने बेतियाहाता स्थित आवास में चिकित्सा कार्य करते थे। वह अपने गावं जाकर भी बच्चों का इलाज करते थे। बच्चों के इलाज के लिए लोग दूर–दूर से आते थे। सहज व मृदु स्वभाव के कारण वह बहुत लोकप्रिय थे। बच्चों के इलाज के लिए लोग दूर–दूर से उनके पास आते थे।
डा. सिंह कुछ समय तक राजनीति में भी रहे। वह गोरखपुर–फैजाबाद स्नताक निर्वाचन क्षेत्र से एमएलसी चुने गए. वह 2009 में बस्ती से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे लेकिन सफल नहीं हुए थे. वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के करीबी थे.
डॉ वाई डी सिंह के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए बीआरडी मेडिकल कालेज के पूर्व प्रधानाचार्य प्रो के पी कुशवाहा ने कहा कि आज का दिन उनके लिए सबसे बुरा दिन है। एक महान शिक्षक, एक अद्भुत बाल रोग विशेषज्ञ और एक संवेदनशील मानव हमसे छीन लिया गया है। वह सही समय पर मदद के लिए हाथ बढ़ाने बढ़ाते थे. वह सुपर इंसान की तरह थे. उन्होंने मुझे बाल चिकित्सा की एबीसी सिखाई , मुझे अपनी ड्रीम गर्ल से शादी करने में मदद की और हमेशा कठिनाइयों के दौरान चट्टान की तरह खड़े रहे। उनके निधन से मुझे और मेरे परिवार और डॉक्टरों और शिक्षकों के पूरे परिवार को गहरा दुख और सदमा लगा है। भगवान उनके परिवार के सदस्यों प्रो गीता दत्त, उनके बेटे सोना, उनकी बहू श्रीमती सुरम्या, बेटी सोनी और उनके बच्चे, रिश्तेदार और उनके हजारों प्रशंसकों को दुःख सहन करने की शक्ति दे. यह क्षति असहनीय और अविश्वसनीय है.