दशकों तक दिलों पर राज करने वाले नहीं रहे , महथा के भैय्या, अपने निजी बाग हुए सिपुर्दे खाक
निज़ाम अंसारी
शोहरतगढ़, सिद्धार्थनगर। सादगी पसंद और गरीबों असहायों की सेवा करते हुवे अपनी पूरी जिंदगी बिताने वाले शेख मोहम्मद मतीन उर्फ महथा के भैय्या का वृहस्पतिवार को इंतेक़ाल हो गया बीती शाम उन्हें अपने निजी बाग में सुपुर्दे खाक किया गया । वे सत्तर साल के थे और बीमार चल रहे थे।
शेख मोहम्मद मतीन उर्फ महथा के भैय्या जो कस्बा शोहरतगढ़ के निकट ग्राम महथा के रहने वाले बेहद सादगी पसंद व्यक्ति थे उन्होंने अपने जीवन में मानव सेवा की मिसाल कायम करते हुवे सूखा , बाढ़ और बीमारी आदि में बढ़ चढ़कर लोगों की भरपूर मदद किया करते थे। उनके अंतिम यात्रा की कवरेज के लिए पहुँचे रिपोर्टर को महथा के भैया के साथ बहुत ही निकटता रखने और लगभग 40 वर्षों से साथ रहने वाले राम बचन ने बताया कि 60 के दशक के अंत तक वह महथा से सटे खड़कुइय्यां गांव में रहते थे और उनके जैसे क्षेत्र के लगभग 50 से भी अधिक लोगों को भैया ने जमीन और आर्थिक मदद देकर लोगों को महथा गांव में बसाया था।
राम बचन बताते हैं कि शोहरतगढ़ तहसील बाढ़ग्रस्त क्षेत्र है और हमारा गाँव ठीक बाणगंगा नदी के बंधे पर स्थित है बाढ़ में और बाढ़ के दौरान जब बंधे कटते तो भैया के एक आवाज पर कई गांव के लोग उनकी अगुवाई में बंधों की मरम्मत और बचाव कार्य किया करते थे बीमार लोगों का इलाज और बहन बेटियों की शादी में ऐसी मदद करते कि शादी का आधा खर्च के बराबर हो जाता था।1970 में उन्होंने क्षेत्र के बेरोजगार लोगों की मदद के लिए महथा में बड़े पैमाने पर बाजार लगाने की परम्परा कायम की जो आज भी चल रही है। 80 का दशक आते आते उन्होंने रेल मंत्रालय से सिफारिश कर महथा में हाल्ट स्टेशन का निर्माण करवाया ।यही नहीं क्षेत्र के तमाम तरह के विवादों का निपटारा किया करते थे।
उनकी नमाजे जनाजा में हजारों की संख्या में हिन्दू व मुसलमान उपस्थित होकर कब्र पर मिट्टी डाली । इस दौरान ब स पा के पूर्व प्रभारी नेता मुमताज भाई , डॉ शादाब अंसारी , इंजीनयर एज़ाज़ अंसारी ,मक्की हसन , प्रधान संघ के पवन मिश्रा , उपाध्यक्ष जफर आलम ,अज़ीज़ , कपूर चंद , सदानंद उपाध्याय , राकेश राजभर , नीलू रुंगटा , राजेश अग्रहरि ,राजू वर्मा , राजकुमार सिनेमाहाल वाले , डॉ अबु हुरैरा सहित क्षेत्र की तमाम नामी गिरामी हस्तियां मौजूद रहीं।
बताते चलें कि नय्यर भैय्या का बहुत शानदार हंसमुख व्यक्तित्व था क्षेत्र के लोगों का हमेशा से ही पूछ रखते थे पान के बड़े शौकीनों में से थे। आज नैयर भैय्या के गुजरने के बाद चाहने वालों में मायूसी का आलम है , नमाजे जनाजा की इजाजत के साथ ही एक दौर का अंत हो गया ।