ज़िले पर मंडराया जेल से फरार नेपाली अपराधियों का खतरा
सीमाई डॉन समेत डेढ़ हजार अपराधी नेपाली जेलों से फरार
भगोड़े अपराधी कानून व्यवस्था के लिए बन सकते है चुनौती
नज़ीर मलिक
सिद्धार्थनगर। नेपाल में 8 सितंबर से शुरू हुए हिंसक आंदोलन की आग अब ठंडी पड़ने लगी है। जेन ज़ी आंदोलन के युवा और अनेक ज़िम्मेदार नागरिक व स्वयं सेवी संस्थाएं अब सड़कों, गलियों के मलबे साफ करने में जुटे हुए हैं। नेपाल में नई सरकार के गठन की कवायद भी शिद्दत से चल रही है, मगर इस आंदोलन के दौरान जेलों से जिन कैदियों को जबरन आज़ाद कराया गया है, उनसे नेपाल ही नही भारत के सीमाई इलाक़ों के लिए भी खतरे की आशंका बन रही है।
प्राप्त सूचना के अनुसार जेन ज़ी आंदोलन के दौरान नेपाल की विभिन्न जेलों को भी आग लगाया गया था। इस दौरान लगभग डेढ़ हज़ार ऐसे कैदी भी भागने में सफल रहे जो विभिन प्रकार के अपराधों के जुर्म में नेपाली जेल में सज़ा काट रहे थे। इनमें चोरी, बलात्कार, डकैती और हत्या तक के आरोपी शामिल थे। इनमें से सैकड़ों कैदी ऐसे भी थे जो भारतीय सीमा में भी अपराध करते और नेपाल भाग जाते थे। कई ऐसे थे जो नेपाल में अपराध करते और भारत में शरण लेते थे।
उदाहरण के लिए ज़िले की सीमा से सटे नेपाल के एक गांव का रहने वाला एक बहुचर्चित अपराधी भी नेपाल की जेल से फरार हो गया है। उस पर हत्या, अपहरण और फिरौती के कई केस में आजीवन कारावास की सज़ा हुई थी। पकड़े जाने से पूर्व वह ज़िले (भारत) के कपिलवस्तु कस्बे में स्थायी तौर पर रह रहा था। उसे सीमाई इलाके का डॉन कहा जाता था। ये तो एक बानगी है। सूत्रों के मुताबिक इन कैदियों में बड़ी तादाद ऐसे अपराधियो की है जो भारतीय सीमा क्षेत्र में भी अपराधों को अंजाम दिया करते थे।
कई जानकारों का मानना है कि नेपाली जेल के वे अपराधी दुबारा पकड़े जाने के भय से भारत में शरण लेने का काम कर सकते हैं। कुछ एक तो देखे भी गए हैं। कुछ लोग कहते है कि निश्चित ऐसा ही कर रहे होंगे। ऐसे में समाज विज्ञानी डॉ. शरदेंदु त्रिपाठी की इस आशंका में दम है कि अगर नेपाल से फरार अपराधियों के जमात ने भारतीय क्षेत्र में शरण लिया तो वे इस क्षेत्र में कानून व्यवस्था के लिए भी खतरा बन सकते हैं। इसलिए स्थानीय प्रशासन को इस विषय में विचार करना चाहिये।
बता दे सिद्धार्थनगर ज़िले में पिछले एक महीने से अपराधों की बाढ़ आई हुई है। निरंतर चोरियों की दहशत से ग्रामीण कांप रहे है। लोग गांवों में रातों को पहरा देते हैं। ऐसे में यदि नेपाली भगोड़ों नें भी यहां अपनी हरकतों को अंजाम देना शुरू कर दिया तो स्थिति और भयानक हो जाएगी।





