मुम्बई से पैदल चल कर नेपाल जा रहे नेपाली नागरिकों को सीमा पार करते एसएसबी ने दबोचा, भेजा कोरेन्टीन सेंटर
नजीर मलिक/ निज़ाम अंसारी
सिद्धार्थनगर। वे सब नपाल के थे और मुम्बई में काम कर रहे थे तथा मुम्बई से सिद्धार्थनगर के लिए पैदल चले थे। यहां पहुंच कर उन्हें अपने वतन नेपाल में जाना था। लेकिन जैसे ही वह शोहरतगढ़ क्षेत्र से नेपाले में घुसने के लिए चले, सीमा पर तैनात एसएसबी के जवानों ने उन्हें दबोच लिया। इस तरह वे बेचारे करोना के दहशत के मारे आसमान से गिरे तो खजूर पे लटक गये। फिलहाल उन्हें शोरतगढ़ में कोरंटीन के लिए रखा गया है।
भारत-नेपाल सीमा पर स्थित चरिगंवा बॉर्डर पर सीमा पार करने की कोशिश करते हुए पांच लोगों को एसएसबी 43वीं वाहिनी के जवानों ने पकड़ लिया। पूछताछ में पता चला कि सभी नेपाल के नागरिक हैं और मुंबई से अपने नेपाल स्थित घर को जा रहे थे। सभी मुम्बई में मजदूरी करते थे। मुम्बई में उनके पास रहने खाने का ठिकाना नहीं था। ऊपर से उन्हें अपने परिवार वालों की परेशानियों की भी याद आ रही थी। इसलिए उन्होंने मुम्बई से पैदल ही चल पड़ने का मन बना लिया।
एसएसबी के हाथों में पड़ने के बाद कमल थापा ने बताया कि लगभग 17 सौ किमी का पैदल सफर कोई हंसी खेल नहीं था। उनके पैर छालों से घायल हैं। रास्ते में मांग कर खाना पड़ा। शिवपुरी के पास लुटेरों से भय लग रहा था। रास्ते में कई जगह हिंसक जानवर भी मिले, मगर बच्चों के बीच जीने मरने की सोच ने उनको हिम्मत दिया, अन्यथा वे रास्ते में ही मर खप जाते।
इस बारे में नेपाल निवासी सुनील आचार्या कहते हैं कि करोना संकट में डेढ. हजार किमी चल कर भी परिवार से मिलने के बजाये १४ दिन तक जेलनुमा कोराइंटीन सेंटर पहुंचना दुखद है। उन्होंने कहा कि यह संकट दुनियां में अभी जाने क्या क्या कराएगा। उन्होंने भारतीय प्रशासन से नेपाली नागरिकों को सुविधानक स्थान पर रखने की मांग की है।