सीएम के शहर को जोड़ने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग 29, जहां चलना मना है, मछली पालन कीजिए या धान की नर्सरी डालिए
— गोरखपुर से बड़हलगंज अर्थात 56 किमी के सफर में लग जाते हैं साढ़े तीन घंटे, बदन टूटता है अलग से
नजीर मलिक
गोरखपुर। राष्ट्रीय राजमार्ग 29 गोरखपुऱ-बनारस की हालत बेहद खस्ता है। हालांकि इसका अधिकांश हिस्सा या तो बन चुका है या बनने के करीब है, परन्तु इसका गोरखपुर से बड़हलगांज के बीच का 56 किमी हिस्सा टूट कर जीर्ण शीर्ण हो गया है।इसके निमार्ण की फिलहाल कोई सूरत नजर नहीं आ रही है। इस पर सफर करना अब मुमकिन नहीं। हां आप सड़क पर मदली पालन या धान की नर्सरी जरूर डील सकते हैं।
इस राजमार्ग को अब सड़क कहना मुनासिब न होगा। दशक भर पहले ही सड़क पर बेहद उछाल और जम्पिंग थी। तब इस सडंक पर यात्रा से लोगों की कमर टट जाया करती थी। चार साल पूर्व सड़क की हालत यह हो गई की सड़क का तारकोल उखडने लगा और उसमें गड्ढे लगे। अब तो सड़क के अधिकांश हिस्से में न गड्ढे पर न तारकाल बचे हैं न ही सड़क की गिटि्टयां। अब तो गड्ढे भी नही हैं।
विधायक विनय शंकर तिवारी
वास्तव में राजमार्ग का 56 किमी भाग अब तालाब में तब्दील हो गया है।जिनमें अब मछली पालन ही किया जा सकता है। जहां टूटी सड़क पर कम पानी है वहांकी बैठौरी भी की जा सकती है। पिछले दिनों रोड की हालत से आक्रोशित नौजवानों ने रोड पर धान की नरसरी रोप कर दिखा भी दिया है। इस सड़क के निर्माण के लिए के लिए बड़हलगंज के विधायक व मंत्री रहे राजेश त्रिपाठी से लगायत वर्तमान विधायक विनय शंकर त्रिपाठी भी काफी प्रयास कर चुके हें। धरना और पदयात्रायें भी हुई हैं, लेकिन इसका कोई नतीजा नही निकला।
गोरखपुर से बड़हलगंज की रोज या़त्रा करने वाले तहसीन अहमद, सुरेश व नजीर आदि बताते हें कि अब 56 किमी की सह दूरी चार पहिया गाड़ी से तय करने में साढ़े तीन घंटे लगते हैं। जहां सड़क टूटी है वहां गाड़ियां 25 की रफ्तार से ही चलती है। इसके बाद जाम आदि भी काफी लगते हैं। इसी माग्र से बनारस, मउ, आजमगढ़, गाजीपुर ही नहीं बिहार के लिए भी गाड़िया निकलती है। इससे पता चलता है कि इस मार्ग की महत्ता कितनी है।
इसी क्रम में अजीत दुबे व मुन्ना यादव बताते हैं कि गोरखपुर से गोरखपुर आने जाने में सात घंटे लग जाते हें। ऊपर से शरीर की दुर्गति अलग से होती है। वह कहते हैं कि राष्ट्रीय राज मार्ग 29 पूर्वांचल का सबसे व्यस्ततम मार्ग है। इस पर हमेशा बहुत भारी मात्रा में लोग सफर करते हैं। यही नहीं यही मार्ग बनारस को मुख्यमंत्री के गृह क्षेत्र का जोड़ता भी है मगर इसकी खेज खबर लेने वाला कोई नहीं है। लोग बाग कहते हें कि इस मार्ग पर सफर करने वाले सरकार को निरंतर कोसते हैं और हमारे नेता अमेरिका में जाकर कहते है कि सब अच्छा है। अगर सही अव्छा है तो फिर बुरा किसे कहते हैं?