नाटक: “जब शहर हमारा सोता है” के माध्यम से स्टार्ट हुआ नवोन्मेष नाट्य उत्सव

November 9, 2019 12:39 AM0 commentsViews: 391
Share news

अजीत सिंह 

सिद्धार्थनगर। नाटक “जब शहर हमारा सोता है” पीयूष मिश्रा द्वारा लिखित एक कटाक्ष है। आज के वर्तमान समाज में उपजे धार्मिक द्वेषों या कहें भेदभाव पर जो कि यह दर्शाता है कि आज भी कहीं ना कहीं हमारा समाज धर्म की बेड़ियों में जकड़ा हुआ एक ऐसा नमूना है जो धर्मनिरपेक्ष होने की या यूं कहें की अनेक धर्मों के समावेश का होते हुए भी अपनी जड़ों से यह रंजिश, यह द्वंद आज तक खत्म नहीं कर पाया। आज भी इसके कई उदाहरण या यूं कहें कि प्रमाण प्रत्यक्ष रूप में देखने को मिलते हैं। यह कहानी दो गुटों की कहानी है जिसमें एक गुट का नाम है खंजर और दूसरे गुट का नाम है फनियर।

ये दोनों टोले, ज़मीनी विवाद यानी गली के एक टुकड़े को लेकर आपसी विवाद करते हैं। जिसमें हर बार की तरह इस बार भी द्वेष और रंजिश की जीत होती है। जब शहर हमारा सोता है केवल एक शीर्षक ही नहीं बल्कि एक कटु सत्य है जो आज के समाज में अंदर ही अंदर विद्यमान है।यह दिखाता है कि हमारा समाज किस प्रकार धर्म के नाम पर हो रहे धंधों को देखते हुए भी जाति के नाम पर हो रहे विवादों को देखते हुए सो रहा है।

अपनी आवाज बुलंद तो करता है लेकिन केवल तमाशा देखने के लिए या एक दूसरे पर प्रहार करने के लिए। एकजुट होकर एकता के साथ अपने देश को आगे बढ़ाने के लिए बिल्कुल नहीं। यदि हमारे समाज में धार्मिक एकता विद्यमान हो जाए तो यह पूरे देश को एकजुटता के माध्यम से विकसित करने में एक महत्वपूर्ण कदम सिद्ध होगा और यही बात या यूं कहें कि यही सीख यह नाटक नाटकीय रूप में होते हुए भी सच्चाई का वर्णन करता है और हमें सिखाता है कि आपसी एकता जितनी फलदायक है उतनी ही नुकसानदायक है पल भर की रंजिश द्वेष और जलन।

यह नाटक एक द्वंद है सही और गलत के बीच का, यह नाटक आधार है समाज में उपजे दिखावटी अपनेपन और अंदरूनी रंजिश के बीच के अंतर का और यह नाटक एक साक्षात्कार है झूठ और सच के बीच की खाई की गहराई के वर्णन का।और अंत में ये नाटक है उन सोए हुए पहलुओं को जगाने के लिए एक संदेश जिनके जागने से समाज में एक बेहतर और लाभदायक परिवर्तन आ सकता है।

पात्र परिचय: आभास- अमित गौतम, तराना- गौरी सिंह
विलास- राहुल गौतम, असलम- प्रेम नागल, खोपकर- अजय सिंह, त्यागी- मोहित वैद, अंटा- प्रवीण कुमार, तब्बसुम- शिवांगी सिंह, अकील- शुभम सिंह, निर्देशन- अमूल सागर, संगीत- अक्षय, लाइट्स – शिव स्वरूप

Leave a Reply