NRC- केवल मुसलमान ही नहीं हर भारतीय नागरिक के लिए सरदर्द होगी एनआरसी
—कौन से दस्तावेज जमा करने होंगे
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। गुरदीप सिंह सप्पल कभी राज्यसभा टीवी के हेड रहे। वरिष्ठ पत्रकार और सिख अल्पसंख्यक बिरादरी से हैं। इन दिनों स्वराज नामक समाचार चैनल के सर्वे सर्वा हैं। उनका यह लेख गौरतलब है कि किस तरह एनआरसी और सीएए केवलः मुसल्मान नहीं, बल्कि भारत के हर एक नागरिक को परेशानी में डालेगा। आइये नगरिकता पंजीकरण अर्थात एनआरसी को समझते हैं।
गुरुदीप सिंह के अनुसार बात हिंदू मुसलमान की है ही नहीं। एनआरसी (NRC) राष्ट्रीय स्तर पर बनेगा, ये बात गृह मंत्री अमित शाह बोल चुके हैं। सवाल है कि जनता को इसमें क्या होगा? क्या सिर्फ़ मुस्लिम लोगों को तकलीफ़ होगी, या फिर भारत के हर नागरिक को होगी।? हालांकि एनआरसी की अभी कोई तारीख़, कोई प्रक्रिया तय नहीं हुई है। हमारे सामने केवल असम का अनुभव है, जहाँ 13 लाख हिंदू और 6 लाख मुस्लिम/ आदिवासी अपनी नागरिकता साबित नहीं कर पाए। उसी को ध्यान में रख कर पूरी बात समझनी होगी।
सवाल है कि भारतीय होकर भी लाखो लोग क्यों नहीं जमा कर पाए नागरिकता सम्बंधी दस्तावेज? क्योंकि वहाँ सबको एनआरसी (NRC) के लिए 1971 से पहले के काग़ज़ात, डॉक्यूमेंट सबूत के तौर पर जमा करने थे। उसके लिए सबूत मांगे गये थे। जिसमें. 1971 की वोटर लिस्ट, में खुद का या माँ-बाप के नाम का सबूत, या 1951 में, यानि बँटवारे के बाद बने एनआरसी में मिला माँ-बाप/ दादा दादी आदि का कोड नम्बर जमा करना था। साथ ही, नीचे दिए गए दस्तावेज़ों में से 1971 से पहले का एक या अधिक सबूत: जैसे 1. नागरिकता सर्टिफिकेट 2. ज़मीन का रिकॉर्ड 3. किराये पर दी प्रापर्टी का रिकार्ड,4.रिफ्यूजी सर्टिफिकेट, 5.तब का पासपोर्ट, 6. तब का बैंक डाक्यूमेंट, 7. तब की LIC पॉलिसी 8. उस वक्त का स्कूल सर्टिफिकेट 9. विवाहित महिलाओं के लिए सर्किल ऑफिसर या ग्राम पंचायत सचिव का सर्टिफिकेट जमा करना था।
अब तय कर लें कि इन में से क्या आपके पास है। ये सबको चाहिये, सिर्फ़ मुस्लिमों को नहीं, और अगर नहीं हैं, तो कैसे इकट्ठा करेंगे? ये ध्यान दें कि 130 करोड़ लोग एक साथ ये डाक्यूमेंट ढूँढ रहे होंगे। जिन विभागों से से ये मिल सकते हैं, वहाँ कितनी लम्बी लाइनें लगेंगी, कितनी रिश्वत चलेगी? असम में जो ये डाक्यूमेंट जमा नहीं कर सके, उनकी नागरिकता ख़ारिज होगी 12-13 लाख हिंदुओं की और 6 लाख मुस्लिमों/ आदिवासियों की। राष्ट्रीय लेबल की एनआरसी (NRC) में भी यही होना है।
हिंदू मुसलमान कोई भी निश्चिंत न बैठ सकेगा
ऐसे में भाजपा के हिंदू समर्थक आज निश्चिंत बैठ सकते हैं कि नागरिकता संशोधन क़ानून, जो सरकार संसद से पास करा चुकी है, उससे ग़ैर-मुस्लिम लोगों की नागरिकता तो बच ही जाएगी। लेकिन उससे पूर्व उन्हें दस्तावेज तो जमा करने ही होंगे।यह बाद की बात है कि दस्तावेज न जमा कर पाने पर उन्हें शरणार्थी का दर्जा किस शर्त पर दी जाएंगी?
इसके अलावा एनआरसी ( NRC) बनने, अपील की प्रक्रिया पूरी होने तक, फिर नए क़ानून के तहत नागरिकता बहाल होने के बीच कई साल लगेंगे और दस्तावेजों की तलाश में आपको भारी धनराशि खर्च करनी पड़ेंगी, जिसमें आप कंगाल तक हो सकते हैं।
सालों होना पड़ सकता है परेशान
130 करोड़ के डाक्यूमेंट जाँचने में और फिर करोडों लोग जो फ़ेल हो जाएँगे, उनके मामलों को निपटाने में वक़्त लगता है।असम में छः साल लग चुके हैं, प्रक्रिया जारी है। आधार नम्बर के लिए 11 साल लग चुके हैं, जबकि उसमें ऊपर लिखे डाक्यूमेंट भी नहीं देने थे।
जो लोग NRC में फ़ेल हो जाएँगे, हिंदू हों या मुस्लिम या और कोई, उन सबको पहले किसी ट्रिब्युनल या कोर्ट की प्रक्रिया से गुज़रना होगा। NRC से बाहर होने और नागरिकता बहाल होने तक कितना समय लगेगा, इसका सिर्फ़ अनुमान लगाया जा सकता है। कई साल भी लग सकते हैं।
छिन जायेंगे निम्नखित अधिकार?
उस बीच में जो भी नागरिकता खोएगा, उससे और उसके परिवार से बैंक सुविधा, प्रॉपर्टी के अधिकार, सरकारी नौकरी के अधिकार, सरकारी योजनाओं के फ़ायदे के अधिकार, वोट के अधिकार, चुनाव लड़ने के अधिकार नहीं होंगे।
अब तय आप सबको करना है
अब तय कर लीजिए, कितने हिंदू और ग़ैर मुस्लिम ऊपर के डाक्यूमेंट पूरे कर सकेंगे, और उस रूप में पूरे कर सकेंगे जो सरकारी बाबू को स्वीकार्य हो। और नहीं कर सकेंगे तो नागरिकता बहाल होने तक क्या क्या क़ीमत देनी पड़ेगी?
बाक़ी बात रही सरकार के ऊपर विश्वास की, कि वो कोई रास्ता निकाल कर ऊपर लिखी गयी परेशानियों से आपको बचा लेंगे, तो नोटबंदी और GST को याद कर लीजिए। तब भी विश्वास तो पूरा था, पर जो वायदा था वो मिला क्या, और जो परेशानी हुई, उससे बचे क्या?