पानी और किसानी पर सरकार की वादा खिलाफी के खिलाफ किसानों-नौजवानों ने मशाल जुलूस निकाला
इस जुलूस में आमी बचाओ मंच, भारतीय किसान यूनियन भानू, इंकलाबी नौजवान सभा, भाकपा माले के नेताओं व कार्यकर्ताओं के अलावा कई संगठनों के लोग शामिल हुए। चेतना तिराहे से यह मशाल जुलूस गोलघर, काली मंदिर होते हुए सरदार पटेल की प्रतिमा तक पहुंचा और वहां से फिर वापस चेतना तिराहा पर आया। चेतना तिराहे पर सभा हुई।
जुलूस में शामिल हुए लोग पूर्वांचल की बंद चीनी मिलों को चलाने, बकाया गन्ना मूल्य का भुगतान करने, मानबेला, गीडा, कुशीनगर में मैत्रेय परियोजना सहित पूर्वांचल में तमाम स्थानों पर अधिग्रहीत भूमि किसानों को वापस करने या बाजार मूल्य से चार गुना अधिक मुआवजा देने, आमी सहित पूर्वांचल की नदियों को प्रदूषण व अतिक्रमण मुक्त करने, स्वामीनाथ आयोग की संस्तुतियों को लागू करने की मांग कर रहे थे।
चेतना तिराहे पर सभा को सम्बोधित करते हुए आमी बचाओ मंच के अध्यक्ष विश्वविजय सिंह, भारतीय किसान यूनियन भानु के कुशीनगर के जिलाध्यक्ष रामचन्द्र सिंह, भाकपा माले के जिला सचिव राजेश साहनी, कांग्रेस नेता महेन्द्र मोहन तिवारी, इंकलाबी नौजवान सभा के राकेश सिंह, सुजीत श्रीवास्तव आदि ने कहा कि प्रधानमंत्री 24 फरवरी को गोरखपुर में किसानों की रैली को सम्बोधित करने आ रहे हैं जबकि उनकी सरकार किसानों से जुड़े सभी मुद्दों पर अपने ही किए गए वादे पर फेल साबित हुई है। पूर्वांचल के किसानों की बुरी हालत है। उत्तर प्रदेश में चालू सत्र का गन्ना बकाया सात हजार करोड़ से अधिक है। पिछले सत्रों के बकाए का भी भुगतान नहीं हो सका है। मोदी सरकार ने गन्ना किसानों का भुगतान 14 दिन के अंदर करने का वादा किया था लेकिन केन्द्र और यूपी सरकार इस मुद्दे पर फेल साबित हुई है।
नेताओं ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने 2014 के लोकसभा चुनाव और 2017 के विधानसभा चुनाव में बार-बार घोषणा की थी कि पूर्वांचल की सभी बन्द चीनी मिलों को तुरन्त चलायेंगे लेकिन पांच वर्ष बाद भी पूर्वी उत्तर प्रदेश की 24 चीनी मिलों में से 17 बन्द हैं। कुशीनगर में लक्ष्मीगंज और देवरिया में बैतालपुर चीनी मिल को चलाने के लिए दो महीने से आंदोलन चल रहा है लेकिन सरकार और प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी किसानांे से बातचीत करने तक नहीे आए। महराजगंज में सरकार की तानाशाही से गड़ौरा चीनी मिल इस सत्र में नहीं चल सकी है जिसके कारण 50 हजार किसानों का गन्ना खेतों में सूख रहा है।
नेताओं ने मानबेला और गीडा में किसानों की जमीन को जबर्दस्ती अधिग्रहीत करने और उसका मुआवजा नहीं दिए जाने का भी मुद्दा उठाया और कहा कि प्रधानमंत्री को इन सवालों का जवाब देना होगा। उन्होंने कहा कि विपक्ष में रहते हुए योगी आदित्यनाथ मानबेला के किसानों की अधिग्रहित जमीन के मुआवजे की मांग को उचित बताने थे लेकिन जब वह मुख्यमंत्री बन गए तो उन्होंने पुलिस के बल पर किसानों की जमीन पर कब्जा करा दिया और अभी तक किसानों को उनकी मांग के अनुरूप मुआवजा नहीं मिल सका है। कुशीनगर में मैत्रेय प्रोजेक्ट के लिए अधिग्रहीत जमीन को डेढ़ दशक हो गए हैं। वहां प्रोजेक्ट के लिए एक ईंट तक नहीं रखी गई है लेकिन किसानों की जमीन वापस नहीं की जा रही है।।
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि आमी नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए वर्षों से स्वीकृत कामन ट्रीटमेंट प्लांट लगाने के लिए जरूरी धन देने से केन्द्र और राज्य सरकार पीछे हट रही है। देवरिया में स्याही नदी सूख गई है जिससे किसानों के खेत की सिंचाई नहीं हो पा रही है। देवरिया, कुशीनगर, गोरखपुर में कई स्थानों पर किसानों के सैकड़ों एकड़ खेत और घर नदी के कटान में कट गए। प्रभावित किसान विस्थापित हो गए हैं लेकिन न तो उन्हें कहीं बसाया गया है न तो उन्हें कोई मुआवजा दिया गया है।
मशाल जुलुस में भाग लेने कुशीनगर के लक्ष्मीगंज और देवरिया से दर्जनों किसान आए थे।
मशल जुलूस में भाग लेने वालों में सुरेश सिंह, आलोक शुक्ला, सुमित पांडेय, बादल चतुर्वेदी, योगेश प्रताप सिंह, सचिन शाही, कालिका पासवान, दिग्विजय, विनोद जोजफ, अभिजीत पाठक, कृष्ण मोहन शाही, इकरार, जीपी शुक्ला, रोहन पांडेय, हरी जी, रामनरायन यादव, रामअधार प्रसाद, रमई प्रसाद, चांदबली, सुरेन्द्र, प्रभू भारती, विट्ठल प्रसाद, सरेन्द्र यादव,राम प्रसाद यादव, महेश्वर सिंह, दिनेश मणि त्रिपाठी, रामनौकर पटवा, सुरेश, जगदीश, हजरत, हैरून निशां, कवंलशर, तैबुन निशां, पूना देवी, मैना देवी, बदामी, शिवधनी, शिव साहनी, ईश मोहम्मद, सुरेश गौड़, छेदी राजभर, राम प्रसाद गोंड, मोताब अंसारी, विनोद वर्मा आदि के नाम प्रमुख हैं।
चीनी मिल नहीं चली तो किसान बीजेपी को हराएंगे : रामचंद्र सिंह
मशाल जुलूस के पहले कुशीनगर से आए भारतीय किसान यूनियन के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने जिलाध्यक्ष रामचन्द्र सिंह की अगुवाई में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को सम्बोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा। ज्ञापन में लक्ष्मीगंज चीनी मिल चलाने की घोषणा न होने पर घेरा डालो डेरा डालो और जेल भरो आंदोलन शुरू करने की चेतावनी दी गई है।
श्री सिंह ने कहा कि 2014 के लोकसभा चुनाव के समय में नरेन्द्र मोदी जी पडरौना आये थे और उन्होंने कहा था की यदि केंद्र में बीजेपी सरकार बनी तो जनपद कुशीनगर की बन्द चीनी मील को चलवायेगें. बीजेपी सरकार को केंद्र में बने लगभग पांच साल पूरे होने जा रहे लेकिन जनपद कुशीनगर की एक भी बन्द चीनी मिल को चलवाने के लिये सरकार ने घोषणा नही किया जो यह दर्शाता है कि बीजेपी सरकार के साथ साथ पडरौना के सांसद राजेश पाण्डेय और रामकोला के विधायक रमानन्द बौध भी लक्ष्मीगंज परिक्षेत्र के किसानों के साथ धोखा कर रहें है जबकि इस क्षेत्र की जनता उन्हें अपना बहुमूल्य वोट देकर लोकसभा और विधान सभा में पहुंचाया है.
उन्होंने कहा कि लक्ष्मीगंज परिक्षेत्र के किसानों ने मन बना लिया है कि यदि चुनाव से पहले लक्ष्मीगंज बन्द चीनी मिल को चलवाने के लिये सरकार घोषणा नही करती है तो आने वाले लोकसभा चुनाव में लक्ष्मीगंज परिक्षेत्र के किसान बीजेपी सरकार को बिल्कुल ही वोट नही देंगें. यह सरकार किसान विरोधी सरकार है और इस क्षेत्र के सांसद और विधायक दोनों ही किसान विरोधी है. पडरौना के सांसद और रामकोला के विधायक लक्ष्मीगंज की बन्द चीनी मिल को चलवाने के लिये आजतक लोकसभा और विधानसभा में कभी भी आवाज़ नही उठाये.