बच्चों का पिता से गमगीन सवालः रुपये तो चोर ले गये बाऊ जी, अब हम भैंस कैसे खरीदेंगे?
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। इटवा के दुर्गाजोत और गोल्हौरा थाना क्षेत्र के बभनी माफी गांव में शुक्रवार रात दो घरों में घुसकर चोर एक लाख रुपये नकद और तीन लाख रुपये से अधिक के आभूषण उठा ले गए। एक किलोमीटर के दायरे में दो थाना क्षेत्रों में हुई चोरी की इस वारदात से क्षेत्र के लोगों में दहशत का माहौल है। इनमें दु:खद यह है कि दुर्गाजोत में चोर राम औतार के घर से 60 हजार नकदी भी ले गये। गरीब राम औतार ने रुपये अपनी भैंस बेंच कर रखा था। उसके दूसरे दिन दुधारू भैंस खरीदनी थी। दूध बेच कर ही वह गरीब अपना परिवार चलाता था। अब गरीब रामऔतार के बच्चे अपने पिता से सवाल कर रहे हैं “बाऊ जी, अब हम भैंस कैसे खरीदेगे। बच्चों के इस मासूम सवाल पर गरीब राम औतार की बेबसी में डूबी आंखें गंगा यमुना का रूप धारण कर लेंती हैं। इसके अलावा वह गरीब कर ही क्या सकता है।
क्या हुआ गरीब राम औतार के साथ
क्षेत्र के दुर्गाजोत गांव निवासी राम औतार प्रजापति परिवार के साथ गांव के बाहर पक्की सड़क पर घर बनाकर रहते हैं। गृहस्वामी के अनुसार शुक्रवार रात लगभग दस बजे खाने के बाद सोने चले गए। उमस भरी गर्मी के चलते कुछ परिवार घर में बने हाल में व कुछ परिवार छत पर सोने चले गए थे। रात में आए अज्ञात चोर घर के पीछे लकड़ी के जंगले में लगी लोहे की ग्रिल को उखाड़कर उसी रास्ते घुस गए। इसके बाद कमरे में रखे बक्से का ताला तोड़कर नकदी और आभूषण उठा ले गए। इस बात की जानकारी घरवालों को शनिवार को सुबह चार बजे सोकर उठने पर हुई ।
दुर्गाजोत और बभनी माफी की दोनों घटनों में चोर राम औतार के घर में रखा 60 हजार नकदी और दो लाख रुपये से अधिक का आभूषण उठा ले गए हैं। जबकि बभनी की घटना में स्वर्ण आभूषण सहित चोर बच्चों के गुल्लक में डाले गये पैसों को भी उठा ले गए। उस समय पड़ित सोनू शुक्ला का परिवार रात में खाना खाने के बाद सोया हुआ था। देर रात दरवाजे के कुंडी का ताला तोड़कर कमरे में दाखिल हो गए। इन दोनों घटनाओं में पीड़ित पक्ष ने पुलिस को शिकायती पत्र देकर मामले की जांच करके कार्रवाई की गुहार लगाई है।
बच्चे पूछ रहे… बाऊ जी अब कैसे खरीदेंगे भैंस
चार हजार रुपये कम होने पर बगैर भैंस की खरीदारी कर लौटे राम औतार प्रजापति यही कह कर रो पड़े कि अगर भैंस खरीद ली होती तो नकदी नहीं चोरी होती। उन्होंने अपनी भैंस बेच कर रुपये रखे थे, लेकिन उन्हें जो भैंस खरीदनी थी उसकी कीमत चार हजार रुपये ज्यादा थी। इसी लिए वे भैंस नहीं खरीद पाए और रुपये चोरी हो गए। अब बच्चे सवाल कर रहे हैं कि पापा… अब भैंस कैसे आ पाएगी? जवाब में राम औतार अपनी आंसू भरी आंखें झूका लेता है। क्योंकि वह जानता है कि इन हालात में अब भैंस खरीद पाना संभव नहीं। लिहाजा बच्चों के सवाल पर उसके पास नजरें झुकाने के अलावा चारा ही क्या है?