पितृ पक्ष में खरीदारी व नए कार्य पर कोई रोक नहीं, यह आगे बढ़ने का शुभ संकेत 

September 8, 2025 8:14 AM0 commentsViews: 1355
Share news
अजीत सिंह 
सिद्धार्थनगर। भारत में व्रत, पर्व और उत्सव न केवल सामाजिक जीवन का हिस्सा हैं, अर्थव्यवस्था ‘में भी इनका विशेष योगदान है। पितृपक्ष पूर्वजों के प्रति, कृतज्ञता और सम्मान प्रकट करने का पवित्र काल है और भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस दौरान पितरों का स्मरण, तर्पण और श्राद्ध कर्म यज्ञ के समान फल देने वाले माने जाते हैं। हालांकि, समाज में कुछ भ्रांतियां प्रचलित हैं कि पितृपक्ष में नए कार्य शुरू करना, खरीदारी करना, मंदिर जाना या पूजा-पाठ करना अशुभ है।
विद्वानों के अनुसार, धर्मशास्त्रों में ऐसी कोई बात नहीं कही गई है। यह काल पितरों के आशीवाद से धन-धान्य, सम्मान और संतान की प्राप्ति के लिए अत्यंत पुण्यदायी माना गया है। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष
प्रो. विनय कुमार पांडेय बताते हैं कि पितृपक्ष में तर्पण, पिंडदान और दान जैसे’ कर्मं यज्ञतुल्य फल देते हैं। इस दौरान खरीदारी या नए कायों पर कोई रोक नहीं है।
श्रीकाशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी कहते हैं कि आधुनिक भौतिक युग में पितृपक्ष का महत्व और बढ़ जाता है। शास्त्रों  के अनुसार, भौतिक सुख, संसाधन और वंश वृद्धि पितरों के संतृप्त होने पर ही संभव है। तर्पण और श्राद्ध से पितृ संतुष्ट रहते हैं। इससे मनुष्य पितृ ऋण से मुक्त होकर धन, संतान और समृद्धि प्राप्त करता है।”
ख्यात ज्योतिषाचार्य प्रो. चंद्रगोलि उपाध्याय स्पष्ट करते है कि पितृ पक्ष में जीवन-यापन के लिए आवश्यक वस्तुओं जैसे भोजन, वस्त्र आदि की खरीदारी पर कोई रोक नहीं है। यदि इनका क्रय न किया जाए तो जीवन की गति बाधित हो सक्ती है। इस काल में सात्विक जीवनशैली अपनाते हुए ब्रह्मचर्य का पालन करने के अलावा गलत कार्यों से बचते हुए पूर्वजों के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता प्रकट करनी चाहिए। उनके आशीर्वाद से ही सांसारिक उन्नति संभव है। विशेष रूप से, यदि पितृपक्ष में किसी शुभ दिन संतान का जन्म होता है, तो उस दिन का कोई दोष नहीं रहता बल्कि दोष समाप्त हो जाते हैं।

Leave a Reply