28 साल का जवान डूबता रहा लोग बचाते रहे, आखिर अंतिम छलांग में मौत ने दबोच ही लिया
निज़ाम अंसारी
शोहरतगढ़, सिद्धार्थ नगर।अगर कोई युवक मौत को गले लगाने पर आमादा ही हो जाय तो जिंदगी उस पर कब तक रहम खा सकती है? ऐसा ही एक मामला जिले के शोहरतगढ़ थाना क्षेत्र में आया, जहां एक 28 साल के युवक ने एक ही दिन में तीन बार मौत को गले लगाना चाहा। दो बार तो मौत ने उस पर रहम खाया लेकिन तीसरी बार कुदरत का कहर टूटा और वह मौत के आगोश में गहरी नींद सोने चला गया। घटा बीती देर शाम की है। आत्महत्या का कारण पारिवारिक कलह बताया जा रहा है।
शोहरतगढ़ थाने के मड़वा चौराहे के सम्पन्न घराने का 28 वर्षीय सुनील नामक युवक ने नकथर के पास स्थित एक पोखरे में छलांग लगा दी जिससे उसकी मौत हो गई। बताते हैं कि गत सांय जान देने के पहले उसने वहीं से नेपाली शराब खरीदी। उसने जम का दारू पी और अपने साथियों को भी पिलाया। इसके बाद वह अपने साथियों से बिदा लेकर अपनी बाइक से चल पड़ा। रास्ते में नकथर पुल के पास अपनी बाइक रोकी और वहां स्थित पोखरे में छलांग लगा दी।
चश्मदीदों के अनुसार उस वक्त वहां कुछ लोग मौजूद थे, उन्होंने पोखरे में कूद कर उसे निकाला। स्थिति सामान्य होने के बाद अचानक उसने पोखरे में फिर छलांग लगाई मगर लोगों ने उसे फिर बचा लिया और बाहर उसे काफी समझाया। लोगों को लगा कि सुनील को उसकी बातें समझ में आ गई हैं। इसलिए वह सब वहां से चले गये।
सुनील वहीं बैठा रहा। उसके मन में झंझावात चल रहा था कि वह जान दे अथवा घर जाये। अंत में जिंदगी के बजाए उस पर पारिवारिक उपेक्षा का दर्द भारी पड़ा। तब तक वहां अंधेरा हो चुका था। कोई उसे बचाने वाला भी न था। मौका सटीक देख उसने पोखरे में फिर छलांग लगा दी। इस बार उसे बचाने वाला कोई न था। इसलिए यह उसकी आखिरी छलांग साबित हुई। सुबह उसकी लाया पाई गई।
आखिर क्यों दी सुनील ने जान?
इस बारे में बताते है कि सुनील एक किसान महेन्द्र का पुत्र था। वह अपने तीन भाइयों में बीच का था। बेरोजगार होने के कारण उसे घर पर अक्सर फटकार और ताने सुनने पड़ते थे। आये दिन के बिवाद व बेरोजगारी ने पहले उसे चिडचिड़ा बनाया मगर लम्बे लाकडाउन ने उसे हताशा में डुबो दिया था। घर पर किसी ताने के जवाब में अक्सर वह कहता कि किसी दिन वह जान दे देगा। आखिर कल उसने यह करके भी दिखा दिया। घटना का इलाके में चर्चा है।