पूर्व विधानसभा अध्यक्ष को पता ही नहीं कि उनकी फेसबुक आईडी कौन चला रहा है
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। जिले के बड़े बड़े राजनीतिज्ञ अपनी सियासी गतिविधियों के प्रति जिम्मेदार नहीं हैं। इस बात का प्रमाण पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय की वह टेलीफनिक बातचीत है, जिसमें वह स्वीकार करते हैं कि उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं कि उनकी अपनी फेसबुक आईडी कौन हैंडिल कर रहा है। अब जरा सोचिए कि जब जिला ही नहीं प्रदेश की राजनीति में अपनी पहचान रखने वाले एक वरिष्ठ सियासतदान की यह हालत है तो अन्य राजनीतिज्ञों की हालत क्या होगी?
क्या है पूरी कहानी
मामला शुरू होता है पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय के अपने विधानसभा क्षेत्र इटवा से। वहां के एक युवा सपा नेता हैं मनीष सिंह क्रान्तिकारी। एक दिन मनीष सिंह पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय जी के फेसबुक फ्रेंडलिस्ट से बाहर कर दिये गये। जब उन्होंने माता प्रसाद पांडेय से फोन पर इसकी शिकायत की तो पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि उनकी सोशल मीडिया पर फेसबुक आईडी कौन चला रहा है।
मनीष सिंह ने सवाल उठाया कि लोग उन पर हंस रहे हैं। उनके पिता उनसे निरंतर सवाल कर रहे है कि ऐसी पार्टी में रहने से क्या फायदा, जहां तुम्हारी वैल्यू न हो। इस पर पूर्व अध्यक्ष जी ने कहा कि तुम्हारी क्या वैल्यू है मै जानता हूं। मुझे पता नहीं कि इस वक्त मेरा अकाउंट कौन चला रहा है। मै इस मामले को देखूंगा।
दरअसल बात यह नहीं है कि मनीष को फ्रेंडलिस्ट क्यों और किसने निकाला? असली सवाल यह है कि प्रदेश के इतने बड़े नेता को पता नही है कि उनकी निजी फेसबुक अकाउंट कौन हैंडल रहा है। यदि कभी उस आईडी से कोई उल्टी सीधी पोस्ट हो गई तो प्रदेश में भूचाल आ सकता है। जिसका खामियाजा समाजवादी पार्टी को भुगतना पड़ सकता है। गौर तलब है कि बड़े नेताओं का फेसबुक, टवीटर अकाउंट अक्सर/ कभी कभी उनहीं के कोई करीबी और विश्वसनीय लोग चलाते हैं, और नेताओं को पता रहता है कि उसे चलाने वाला कौन है और कितना जिम्मेदार है। मगर यहां तो पूर्व विधानसभा अध्यक्ष जी को कुछ भी पता नहीं है।