प्रिंस दुबे कांडः मामला डूब कर मरने के बजाये कहीं मुहब्बत में डूब जाने का तो नहीं
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। बांसी कोतवाली से सट कर बहने वाली राप्ती नदी में पॉलीटेक्निक के छात्र के डूबने के मामले में नया मोड़ आ गया है। घटना के छठवें दिन इटावा जनपद की रहने वाली मृतक युवक की मां ने डीएम और कोतवाल को शिकायती पत्र सौंपा। उन्होंने कि उनका बेटा प्रिंस डूबा नहीं है, बल्कि उसे गायब कर दिया गया है अथवा फिर अन्यत्र ले जाकर उसकी हत्या कर दी गई है। आरोप बांसी कस्बे की एक महिला और उसकी पुत्री पर लगा है। पीड़िता के मुताबिक संदिग्ध युवती के अलावा घटना का कोई और प्रत्यक्षदर्शी नहीं है। इसी आधार पर पीड़िता की मां श्रीमती मीना दुबे ने मामले की जांच करके कार्रवाई की मांग की है। तो क्या यह भी प्रेम प्रकरण में हुया हत्या है। अब बांसी कस्बे में इस आशय की सुगबुगाहट शुरू हो गई है और लोग मनीष की मौत डूबने से नहीं मुहब्बत में डूब जाने की वजह मानने लगे हैं।
इटावा जनपद के आनंदनगर थाना क्षेत्र के वार्ड नंबर 72 रामलीला मैदान निवासी प्रिंस दुबे सिद्धार्थनगर जनपद के बांसी कोतवाली क्षेत्र के एक पॉलीटेक्निक कॉलेज में इलेक्ट्रॉनिक से द्वितीय वर्ष का छात्र था। आठ जुलाई की सुबह उसके बांसी के राप्ती नदी में सेल्फी लेते समय मोबाइल के नदी में गिरने और उसे ढूंढने के दौरान डूब जाने की सूचना एक लड़की ने सूचना बांसी कोतवाली की पुलिस को दी थी। मामले की जानकारी मिलने के बाद से बांसी पुलिस की टीम एसडीआएफ गोरखपुर की टीम की मदद से पांच दिन तक नदी में तलाश करती रही, लेकिन उसका कोई पता नहीं चला। इसी बीच बृहस्पतिवार को डूबे छात्र की मां मीना दुबे बांसी पहुंचीं और कोतवाल व जिलाधिकारी को शिकायती पत्र सौंपा।
शिकायत पत्र के अनुसार बांसी कस्बे की एक महिला और उसकी बेटी मेरे पुत्र को लेकर पुल पर गई थीं। जहां अज्ञात लोगों को बुलाकर उसका अपहरण करवा दिया और कहीं दूसरे स्थान पर लेकर जाकर हत्या कर दी। क्योंकि पांच दिन से नदी में ढूढ़ा गया और उसका कोई पता नहीं चला है। बेटा डूबा होता तो मिल गया होता। उसकी हत्या करके कहीं फेंक दिया गया है। वैसे भी उस लड़की के अलावा प्रिंस दुबे के डूबने का कोई प्रत्यक्षदर्शी नहीं है जबकि उस पुल से हमेशा सैकड़ों लोंगों का आना जाना लगा रहता है। मंजू दुबे ने दन तथ्यों के आधार पर मामले में केस दर्ज करके कार्रवाई की मांग भी की है। इस संबंध में कोतवाल बांसी अनुज कुमार सिंह ने बताया कि महिला ने शिकायती पत्र दिया है। उस पर गौर किया जा रहा है और मामले की जांच भी शुरू कर दी गई है।
डूबा होता तो जरूर उतरा जाता शव
गोताखोर का कार्य करने वाले उसका क्षेत्र के निवासी विजय साहनी ने बताया कि वह काफी दिनों से मछली पकड़ने का कार्य करते हैं। उन्होंने बताया कि कोई व्यक्ति डूब जाए तो उसकी लाश अधिक से अधिकम 24 घंटे में उतरा जाती है। अगर वह कहीं फंस न हो तो। लेकिन बाढ़ का मौसम है, ऐसे में नदी का प्रवाह तेज है, अगर डूब होगा तो कहीं ऐसी जगह पर उतराया होगा, जहां किसी की नजर नहीं पहुंच रही होगी। या फिर कहीं पत्थर व बालू के बीच फंसकर दब गया होगा। जिसकी वजह से बाहर नहीं आया।
तो क्या यह सचमुच कोई मर्डर मिस्ट्री है?
तो क्या मनीष दुबे की मौत कोई मर्डर मिस्ट्री है। अगर देखा जाये तो इटावा जिले की रहने वाली मनीष की मां मीना दुबे की मां की उस महिला और उसकी बेटी से कोई दुश्मनी तो क्या परिचय तक नहीं है। फिर क्यों वह उसका नाम ले रही है? वैसे भी मनीष के डूब कर मरने की बात का दावा करने वाली वाली वही युवती है जिसका शिकायत पत्र में उल्लेख है। उस युवती के फोन पर तत्काल मौके पर पहुंची पुलिस और गोताखोरों को वहां मनीष का शव नहीं मिला। तब से निरंतर पांच दिन तक गोताखोर उसका शव ढूंढ पाने में नाकाम रहे। इससे मनीष की मां के आरोप को बल मिलता है। क्योंकि कस्बे में उस युवती और मनीष के बीच प्रेम संबंधों की बात करने वालों की भी कमी नहीं है। ऐसे में पुलिस को इस बिंदु पर जांच करने की आवश्यकता है।