नहीं बदला कुदरत का फैसला, आखिर 18 साल के गबरू जवान को मौत से हारना ही पड़ा
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। कुदरत जब किसी की डेथ वारंट पर अपने हस्ताक्षर कर देती है तो उसकी मौत को टाला नहीं जा सकता। अठारह साल के गबरू जवान रामविलास के साथ भी ऐसा ही हुआ। उसने मौत को टालने की हर कशिश की, मगर वह मौत से न लड़ सका और उसे जान देनी ही पड़ी।
यह दर्दनाक वाकया शोहरतगढ़ टाउन के बगल बानगंगा बैराज के पास घटी। वहीं के ग्राम चरिगवां का 18 साल का रामविलास प्रतिदिन की भांति कल सुबह भी बानगंगा बैराज पर टहलने निकला था। बैराज के बगल में ट्रेन के गुजरने का पुल भी है। रामविलास शार्टकट रास्ता समझ कर इसी पुल से निकल रहा था। वह पुल के बीच रास्ते पर था कि सीटी के माध्यम से उसके कानों में ट्रेन आने की आवाज पड़ी। अब उसके पास किसी तरफ भाग निकलने का रास्ता न बचा था।
विलास साहसी युवा था। एक पल में उसने फैसला लिया और बचने के लिए पुल की रेलिंग पकड़ कर नदी की तरफ झूल गया। इसे पुल के आस पास खड़े लोग देख रहे थे। उन्हें अब उम्मीद हो चली की रामविलास की जिंदगी अब बच जायेगी। मगर रामविलास के मौत के वारंट पर फैसला खुद कुदरत ने किया था, वह कैसे बदलता।
दरअसल रेलगाड़ी जो गुड्स ट्रेन थी, बहुत लम्बी थी और पुल पर उसकी रफ्तार भी बहुत धीमी थी। सो उसे पर करने में बहुत समय लग रहा था। इस दौरान रेलिंग पकड़ कर लटका रामविलास भी बेचैन होकर हाथों को आराम देने के लिए एक हाथ छोड़ने व एक से रेलिंग पकड़ा कर लटकने की रणनति अपना ली थी। प्रत्यक्ष दर्शियों ने बताया कि थों को आराम देने के चक्कर में अचानक उसके दोनों हाथों से रेलिंग छूटी और वह बानगंगा नदी की जलराशि में समा गया।