मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम आदर्शवाद के प्रणेता थे- संत स्वरूपानंद
अमित श्रीवास्तव
मिश्रौलिया, सिद्धार्थनगर। राम कथा वह विधा है जो सारे कष्ट हर लेती है।कथा सुनने वाला व्यक्ति हमेशा अच्छाई की तरफ चलने का प्रयास करता है। राम कथा व्यक्ति को आदर्श की सीख देती है। भगवान राम अदर्शवाद के प्रणेता थे। तभी उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है।
उक्त बातें खुनियांव विकास खण्ड के कनकटी बाजार गॉव में आयोजित नौ दिवसीय संगीतमयी रामकथा के दौरान बीती रात आयोध्या से आये कथा वाचक बाल सन्त स्वरूपानंद जी ने कहीं।
बाल संत ने कहा कि राम कथा चित को शांत रहने का सर्वोत्तम उपाय है। इसलिए जब मन अशांत हो तो सभा को रामकथा का अवलोन करना चाहिए। अगर आप किसी कथा कथा वाचक से विस्तर से सुनेंगे तो और भी उत्तम होगा।
कथा वाचक के साथ आचार्य सौरभ त्रिपाठी, तबलावादक कपिल, पैड वादक गणेश व भोलू कथा में साथ दे रहे थे। कथा का आयोजन जटाशंकर वर्मा ने ग्रामीणों के सहयोग से किया है। कथा के दौरान पहले दिन शांतेश्वर नाथ त्रिपाठी, शिव लाल अग्रहरी, राहुल वर्मा,कृष्ण कुमार, अमित श्रीवास्तव, राम अवतार, परशुराम मणि त्रिपाठी, बद्री अग्रहरी, प्रदीप जायसवाल,सुग्रीव,रमई,शुभम,हनुमान,सत्यम,अजय,पालन,राजकुमार आदि मौजूद रहे।