बसपा नेता रमेश के विरोधियों की लंबी थी फेहरिस्त, पुलिस खंगाल रही उनका इतिहास
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। बसपा के पूर्व जिलाध्यक्ष और ग्राम प्रधान रमेश चमार पर बीती रात हुई फायरिंग का मामला उलझता जा रहा है। बसपा नेता घायल हालत में लखनऊ में एडमिट हैं। पुलिस अंधेरे में हाथ पांव मार रही है। वैसे उनकी कई लोगों से रंजिश थी। पुलिस फिलहाल इसी तथ्य को ध्यान में रख कर विरोधियों की सूची बनाने में जुटी है।
बताया जाता है कि पूर्व जिलाध्यक्ष रमेश की अपने गांव खजुरिया में कई लोगों से राजनीतिक दुश्मनी थी, जो प्रधानी के चुनाव को लेकर अरसे से चल रही थी। इसके अलावा कई अन्य लोगों से भी उनकी दुश्मनी चल रही थी।
दरअसल बसपा शासन काल में अनेक लोगों पर कायम हुए दलित उत्पीड़न के मुकदमें दर्ज कराने में भी रमेश काफी आगे रहते थे। इसे लेकर भी कई लोग उनसे खुन्नस रखते थे। इस बार प्रधानी का चुनाव जीतने के बाद उनके कुछ और विरोधी भी पैदा हो गये थे।
आस-पास के गांवों में यही चर्चा है कि कल शाम रंजिशन उन पर हमला किया गया। हालांकि ढेबरूआ थाने में दर्ज प्राथमिकी में किसी को नामजद नहीं किया गया है लेकिन चर्चा में पिछड़ी जाति के एक मुस्लिम युवक का नाम लिया जा रहा है।
वैसे उनकी अक्खड़ता और हर किसी से भिड़ने के स्वभाव के चलते उनके विरोधियों की संख्या अधिक थी, लिहाजा किसी पर अकारण शक करना उचित नहीं है। रमेश चूंकि लखनऊ में भर्ती हैं, इसलिए पुलिस अभी तक उनसे कुछ जानकारी नहीं ले पाई है।
इस बारे में थानाघ्यक्ष ढेबरूआ इन्द्रजीत यादव का कहना है कि मुमकिन है कि पीड़ित बसपा नेता के पास कोई जानकारी हो। इसलिए हम उनके बयान के बाद ही किसी आखिरी नतीजे पर पहुंचेंगे। वैसे पुलिस अपने स्तर से जांच कर रही है।
बसपा नेता ने मांगा था सुरक्षा गार्ड
इस बारे में एक जानकारी यह भी मिली है कि रमेश चमार ने पिछले एसपी से अपनी सुरक्षा के लिए गार्ड की मांग की थी, जो उन्हें नहीं मिली थी। इसे लगता है कि उन्हें अपने किसी विरोधी से भय था। यह विरोधी कौन था, फिलहाल उसकी जानकारी उनकी वापसी के बाद ही प्रकाश में आ सकेगी।
बताते चलें कि पूर्व अध्यक्ष कल लगभग साढ़े सात बजे शाम एक दोस्त के साथ अपने घर जा रहे थे। रास्ते में बाइक सवारों ने उन्हें गोली मार दी थी। गोली उनके पीठ और कमर पर लगी है। उन्हें इलाज के लिए लखनऊ भेजा गया है, जहां उनकी हालत स्थिर बताई जाती है।