खोज खबऱः 31 की रात जिले के चंद नौजवान गरीबों के लिए कैसे बन गये सेंटा क्लाज
रात में दो बजे कड़कड़ाती ठंड में बीमार प्रमोद की मदद करने वाले इन युवाओं को तहे दिल से सलाम
अजीत सिंह
सिद्धार्थनगर। नये साल की पूर्व संध्या पर सेंटा क्लाज की कहानी का जिक्र आम बात हो गई है, जिसमें 31दिसम्बर की रात सेंटा क्लाज नये साल पर गरीब के बच्चों की खुशी के लिए उन्हें चुपके से खिलौने बांटने का काम करता है। परोपकार की भावना को प्रेरणा देने वाली इस कहानी को कहते तो बहुत लोग हैं, लेकिन वास्तव में सेंटा क्लाज बन कर लोगों की मदद व मानवता की सेवा करना कुछ ही लोग कर पाते हैं। लेकिन अपने जिले में एक ऐसी संस्था है जो पिछले सात सालों से नये साल पर गरीब और बेसहारा लोगों की चुपके से मदद करती है और उसका प्रचार भी नहीं करती है। यह तो संयोग है कि जनता का राज नामक इस संस्था की एक कहानी कपिलवस्तु पोस्ट के हाथ लग गई, जो आपके सामने प्रस्तुत है।
क्या है झकझोरने वाली सच्ची कहानी
सात साल पहले 31दिसम्बर को ही इस संस्था का गठन हुआ था। संस्था का मकसद नये साल पर गरीबों की मदद करना था। प्रति वर्ष की भांति इस वर्ष भी 31 दिसम्बर की रात संस्था के युवा सदस्य गाड़ी से घूम घूम कर जिले के चौराहों, रेलवे/बस स्टेशनों पर ठंड में कांप रहे गरीबों को कम्बल बांट रहे थे। इस क्रम में वे रात में लगभग 250 किमी घूम चुके थे। रात्रि के लगभग दो बजे थे। संस्था के साथियों की जीप रेलवे स्टेशन बढ़नी से कुछ दूर इटवा रोड पर थी, जहां उन्हें एक बीमार आदमी दिखाई पड़ गया।
50 साल के उक्त बीमार आदमी का नाम प्रमोद था। वह महाराष्ट्र से ट्रेन से सफर कर बढ़नी स्टेशन पर उतरकर ऑटो से बढ़नी इटवा के बीच एक चौराहे पर खड़ा था। जब संस्था के युवाओं ने प्रमोद से इतनी रात अकेले खड़े होने का कारण पूछा तो उसने बताया कि ‘भैया हमारा एक्सीडेन्ट महाराष्ट्र में हो गया था किसी तरह वहाँ से यहाँ पहुँच गया ऑटो वाला मुझे मेरे लक्ष्य तक नही पहुँचाया और मैं एक्सीडेन्ट के कारण यहाँ से लगभग ढाई किमी. चलने के बाद यहां बैठ गया हूं। अब आगे नहीं चल सकता।‘
इस बारे में संस्था के अगुआ अरुण तिवारी ने बताया कि, पहले तो उसके बातों पर विश्वास नहीं हुआ, लेकिन उसके हाथों पर ध्यान गया तो देखा इन्ट्राकैथ अभी भी लगा ही था। फिर क्या था सभी के सुझाव से एक नेकी का कार्य और हुआ तत्काल उस बन्दे को उसके गाँव रेहरा पहुँचाया गया। उसका गाँव रूट से ठीक विपरीत था।
कपिलवस्तु पोस्ट का सलाम
इससे पूर्व संस्था के युवा बढ़नी, इटवा, उसका, डुमरियागंज बांसी आदि स्थानों पर बेसहारा और ठंड से कांप रहे लोगों को सैकड़ों कम्बल बांट चुके थे। बकौल अरुण तिवारी प्रमोद की मदद कर संस्था के लोगों को आत्मिक खुशी हुई। दरअसल सेंटा कलाज यही करते थे। यही मानवता और सच्चा धर्म भी है। कपिलवस्तु पोस्ट ऐसे सेंटा क्लाजों को सलाम करता है जो सेंटा की कहनी सुनाने के बजाए साल में एक दिन स्वयं ही वास्तविक सेंटा की भमिका में आकर रात भर गरीबों की मदद करते हैं।
बता दें कि यह कार्यक्रम संस्था अध्यक्ष देवेश मणि त्रिपाठी जी के निर्देशन में हुआ। कार्यक्रम को सम्पन्न कराने में मुख्य भूमिका संस्था डायरेक्टर अरुण कुमार त्रिपाठी की रही, जिसे जनपद के ही कई युवाओं को साथ लेकर सम्पन्न किया। इस दौरान टीम समर्पण के अध्यक्ष सन्नी उपाध्याय जी, समाजसेवी नितेश पाण्डेय जी, युवा समाजसेवी विकास पाण्डेय और समाजसेवी अंशुमान त्रिपाठी की उपस्थिति रही।