अनोखा प्रेमः साड़ी के आंचल तले खाई थी मुहब्बत की कसम, उसी के फंदे में लटक कर दी जान
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर। उसका नाम संत कुमार था। वह मुहब्बत के मामले में भी संत ही था। उसने अपनी माशूका की साड़ी के आंचल की छांव में मुहब्बत की राह पर सदा साथ देने की कसम खाई थी। उसकी शादी भी हुई, मगर नियति का फैसला भी देखिए कि संत को चंद दिनों बाद उसी माशूका की साड़ी से बने फंदे में लटक कर अपनी जान देनी पड़ गई। मामला खेसरहा थाना क्षेत्र के बिसरी गांव से जुड़ा है। देहात से जुड़ी इस दारुण प्रेम कथा के सूत्र मुम्बई जैसे महानगर से भी जुड़ते है, मगर फिर दुखांत इसी गांव में होता है। यह कहनी ठीक ऐसे ही है जैसे आप एक नागिन की मौत पर नाग को अपनी जान देते हुए सुनते हैं। कहानी इस प्रकार है।
खेसरहा थाना क्षेत्र के बिसरी गांव में रविवार को एक युवक ने कमरे में साड़ी के फंदे से लटक कर जीवन लीला समाप्त कर ली। मामले की जानकारी मिलने के बाद पुलिस मौके पर पहुंची। मगर परिजनों के आग्रह के बाद उन्हें सुपुर्द कर दिया। बताया जा रहा है कि कुछ दिन पूर्व उसकी पत्नी की मौत हुई थी। प्रेम संबंध में दोनों ने भागकर शादी कर ली थी। बीमारी के चलते उसकी मौत हो गई थी। देखने मे यह कहानी बिलकुल सीघी सादी है लेकिन इसके विस्तार में प्रेम और बलिदान की रोमांचित और रुलाने वाली कहनी भी शामिल है।
बिसरी गांव निवासी हरिम के 23 साल के बेटे संतकुमार का गांव की ही शीला नाम की युवती से प्यार हो गया। दोनों छुप छुप कर मिलने लगे। एक दिन गांव से बाहर एक स्थान पर शीला की गोद में लेटे संतराम ने साथ जीने औ मरने की कसम खाई। यह बात सरे आम होने लगी तो जानकारी घर वालों को भी हुई। लड़की वालों की शिकायत पर संतराम के घरवालों ने उसे डांट फटकार लगाई मगर अंत में संतराम का दीवानापन देख ग्रांव वालों की उपस्थिति में लड़की पक्ष से आपसी सुलह समझौता कर लिया गया। इसके बाद युवक युवती को लेकर मुंबई चला गया। वहां जाकर दोनों ने शादी कर ली और दोनों पति पत्नी की तरह रहने लगे।
घर वालों ने बताया कि कुछ दिन पहले शीला की तबियत खराब हुई थी। संभवतः उसे कोविड हुआ था। जिससे 21 मई की रात उसकी मौत हो गई। यह देख केख संत के होश उड़ गये। किसी तरह वह अपनी प्रेमिका/ नवविवाहिता शीला का शव संत कुमार एंबुलेंस द्वारा गांव लाया, जहां अंतिम संस्कार हुआ। गांव आने के बाद हताश प्रेमी की तरह संत कुमार पागलों जैसी हरकत करने लगा। कुछ समय बाद युवक घर के अंदर जाकर घर में लगे रोशन दान में पत्नी की ही साड़ी का फंदा बना कर उसी में लटक गया।
कुछ समय तक घर वालों ने देखा जब संत कमरे से बाहर नहीं निकला और दरवाजा अंदर से बंद है। फिर पता चला कि को साड़ी के फंदे से लटक रहा था। यह देख पिता ने मामले की जानकारी पुलिस को दी। पुलिस ने शव को मौके पर पहुंचकर उतरवाया। प्रभारी निरीक्षक खेसरहा ब्रह्मा गौड़ ने बताया सूचना मिलने पर पुलिस वहां पहुंची। मगर परिजन कोई करवाई नहीं चाहते थे। इसलिए पंचनामा कर शव उन्हें सुपुर्द कर दिया गया। तो यह थी एक मुहब्बत की दास्तान, दोनों गांव के थे, मगर अपनी मुहब्बत को मुम्बई तक में अमर बना दिया। इतिहास के हीर रांझा और दास्तान ए लैला मजनू की तरह।