सपा-बसपा संयुक्त सम्मेलन में साफ दिखी गठबंधन की एकजुटता, दिलचस्प होगा चुनावी महासमर
— सत्ताधारी दल विस्मय में, राजनीतिक प्रेक्षक भी भौचक, अपना नजरिया बदलने को हुए मजबूर
नजीर मलिक
सिद्धार्थनगर।चुनावी गठबंधन की घोषणा के बाद सिद्धार्थनगर जिले में पहली बार दोनों दलों के संयुक्त सम्मेलन में सपा़बसपा की जबरदस्त एकजुटता दिखी। राजनैतिक प्रेक्षकों का अनुमान था कि बस्ती मंडल में सपा के खाते से एक भी उम्मीदवार न होने से सपाइयों में निराशा और गठबंधन के प्रति निरूत्साह होगा। परन्तु कल देर शाम तक लोहिया सभागार में देर तक चले संयुक्त सम्मेलन में दोनों दलों की अभूपूर्व एकता देख कर सियासी टिप्पणीकरों का भ्रम टूट गया। अब वो कहने लगे है कि आगामी लोकसभा चुनाव में डुमरियागंज सीट पर रोचक और रोमांचक सग्राम की जमीन तैयार हो चुकी है।
शनिवार को लोहिया कला भवन में आयोजित सभागार में पूर्व मंत्री अरविंद गोप और शैलेन्द्र कुमार ललई के अलावा जिले के सभी वरिष्ठ सपाई मौजूद थे। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय सहित विजय पासवान,इन्द्रसना त्रिपाठी उग्रसेन सिंह, लाल जी यादव, बेचई यादव तथा सपा के द्धितीय पंक्ति के भी अधिकांश नेता भी मौके पर मौजूद थे। बसपा से प्रत्याशी आफताब आलम के अलावा बसपा के दिग्गज धनश्याम खरवार, कल्पनाथ बाबू के अतिरिक्त बसपा की स्थानीय कमेटी के सभी पदाधिकारी उपस्थित थे।
सम्मेलन में आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने व जीतने के रणनीतियों पर चर्चा हुई। गौरतलब है कि सम्मेलन में बसपा अधिक हुकार सपा के लोंगों ने लगाई। नेताओं ने कहा कि सपा बसपा के लोग पूरी तौर से एक जुट हैं। और इस सीट को जीतने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगे। सपाइयों ने स्पष्ट कहा कि उनके नेता का पहला संकल्प भाजपा को हराने का है, वे अपने नेता अखिलेश यादव के संकल्प को पूरा करने की कोशिश करेंगे।
कल के सम्मेलन में सपा बसपा के कार्यकर्ता भी एक दूसरे से सहज रूप से मिलते देखे गये।उनकी आपसी हंसी ठिठोली उनके आत्मविश्वास का परिचायक थी। बसपा प्रत्यशी आफताब आलम की सपा बसपा के कार्यकर्ताओं को बराबर सम्मान देने की घोषणा भी सम्मेलन में शीतल बयार के मानिंद थी। इसके बाद से क्षेत्र में सपा बसपा के संयुक्त झंडों के साथ दिखने लगे हैं।
इस सम्मेलन के बाद बसपा आत्म विश्वास से लबरेज दिख रही है। प्रतिद्धंदी सत्तरधारी दल के लोग इस एकजुटता को विस्मय से देख रहे हैं तो राजनीतिक टिप्पणी कर भौचक हैं। गठबंधन में बिखराव का उनका बनाया मिथ टूटता नजर आ रहा है तथा वे अब भविष्य के चुनाव को लेकर नया नजरिया अपनाने को बाध्य दिख रहे हैं।