खाद की तस्करी जोरों पर, लाकउाउन से उत्पन्न बेरोजगारी के चलते ग्रामीण बने तस्करों के कैरियर

June 29, 2020 2:20 PM0 commentsViews: 337
Share news

अजीत सिंह

बढ़नी सिद्धार्थनगर। भारत-नेपाल पर आवयक वस्तुओं की तस्करी जम कर हो रही है। इस काम में पेशेवर तस्कर तो लगे ही है, साथ में वे गरीब भी शामिल हैं जो लाकडाउन के कारण कहीं राजगार नही पा रहे और घर का चूल्हा जलाने के लिए मजबूरन इस गैरकानूनी धंो में लगे गये हैं।                               

 बताया जाता है कि तस्कर  शोहरतगढ़, तुलसियापुर, कठेला,  इटवा, केवटलिया,  पकड़िहवा,  महथा, भूतैहिया,  झूलनीपुर, ढेकहरी,  आदि जगहों से यूरिया खाद को खरीद कर विभिन्न रास्तों से नेपाल को तस्करी कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार तस्कर  धनौरी सेमरहना लोहटी बनचौरी कोटिया बसंतपुर बनचौरा  खरिकौरा घरुआर  मडनी कल्लनडिहवा बढ़नीडिहवा आदि गांव में अपने ठिकानों पर खाद को इकट्ठा करते हैं तथा मौका पाकर उसे नेपाल पहुंचा देते हैं।ढेबरूआ थाना क्षेत्र के ढेकहरी चौराहे से  मडनी चौराहा होते हुए रेलवे लाइन उस पार मडनी गांव में एक सफेदपोश तस्कर के यहां से भारी पैमाने पर भारत से नेपाल को खाद की तस्करी की जाती हैं

 पता चला है कि खाद के इस तस्करी के धंधे में कुछ पुलिस और कस्टम के भ्रष्ट अधिकारियों का परोक्ष रूप से मौन समर्थन रहता है। पता चला है कि श्री टी.डी.सिहं , प्रभारी निरीक्षक, ढेबरुआ सिद्धार्थनगर के नेतृत्व मे अवैध शराब, निष्कर्षण,विक्री, अवैध बालू मिट्टी खनन  तस्करी के संबंध में अभियान चलाया जा रहा है। इसी क्रम में कल्लन डीहवा आम की बाग के पास से पांच बोरी यूरिया कृभको खाद नाजायज़ के साथ एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर धारा 11 कस्टम  अधि. के अंतर्गत विभाग द्वारा कार्रवाई की गई है 

रोटी की मार ने इनको भी तस्करी के धंधे में धकेला

रोटी की मार ने इनको भी तस्करी के धंधे में धकेला

इस कार्य में ऐसे लोग भी देखे जा सकते हैं जो लाखउाउन के कारण उत्पन्न बेरोजगारी के कारण कहीं काम नहीं पा रहे। ऐसे लोग मुबई दिल्ली से घरों को यह सोच कर लौटे थे कि वे वहां कम पैसे में ही मजदूरी कर लेंगे, लेकिन सहां भी हानत खराब है।सो वे इस धंधें में उतर आये।

सीमावर्ती क्षेत्र के एक व्यक्ति ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि  वह मुम्बई से घर लौटा है। यहां भी काम नहीं है। मगर क्या करें, बच्चों के पेट भरने का इंतजाम तो करना ही है, इसलिए वह तसकरों के कैरियर का काम करने लगा। उसने बताया कि एक बोरी सर पर रख कर बार्डर बार कराने में उसे 14 रुपया मिल जाते है। इस प्रकार दिन भर में पांच से सात बोरी के बदले 70 से  100 रुपये का काम हे जाता है। उसके मुताबिक तस्कर कितना कमाता है यह वह ही बता सकता है।

   

Leave a Reply