कोरोना की जंग लड़ रहे डॉक्टरों को क्षेत्र में न घुसने की हिदायत दे रहे बेसिक शिक्षा मंत्री
— दूसरी तरफ उन्हीं डाक्टरों का सम्मान कर रहे भाजपा विधायक राघवेन्द्र सिंह
एम. आरिफ
इटवा, सिद्धार्थ नगर । कोरोना के ख़िलाफ़ देश भर के डॉक्टर अपनी जान को दांव पर रख कर लोगों की सेवा कर रहे हैं। इन योद्धाओं के बूते इस जंग को हर भारतीय लड़ कर जीतना चाहता है । प्रधान मंत्री ने देश के सभी डॉक्टरों को इस महामारी में देश की सेवा करने की आह्वान किया है ।
स्वास्थ्य विभाग एंव प्रशासन के द्वारा गठित टीम के माध्यम से पूरे देश में प्राइवेट डॉक्टरों से सेवा ली जा रही है । इसी बीच योगी सरकार के एक मंत्री का अजीब फरमान सामने आया है। उत्तर प्रदेश के बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी द्वारा इस कोरोना महामारी में प्राइवेट चिकित्सकों की सेवा पर शंका करते हुए उन्हें अपने क्षेत्र में न घुसने की हिदायत दे रहे हैं । जकि उन्हीं चिकित्सकों का उनके पड़ोस के भाजपा विधायक सम्मान कर रहे हैं। मामला उत्तर प्रदेश के जिलासिद्धार्थ नगर का है ।
बतातें चले कि कोरोना महामारी में डुमरियागंज तहसील प्रशासन द्वारा चिकित्सकों की 8 मेडिकल टीम बनाई गई है । जो निस्वार्थ भाव से क्षेत्र में जाकर कोरोना के रोकथाम को लेकर जांच और उन्हें जागरूक करने का कार्य कर रही है । 16 डॉक्टरों के बनी 8 टीम क्षेत्र में कई दिनों से लोगों की सेवा कर रही है। इस बात की भनक जब बेसिक शिक्षा मंत्री को लगी तो वह भूल गए कि कोरोना काल में प्राइवेट डॉक्टर पूरे देश में एक अहम सेवा दे रहें हैं। उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा कि ये टीमें उनके विधानसभा क्षेत्र में नहीं जानी चाहिए।
उन्होंने प्रसाशन को हिदायत दी कि ये टीमें उनके क्षेत्र के किसी भी गांव में न जाएं । मंत्री जी कहना है कि मेरे क्षेत्र में किसी प्राइवेट चिकित्सक को कोरोना काल में सेवा देने की आवश्यकता नहीं है । उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पताल के डॉक्टर कोरोना की जांच और इलाज में पूरी तरह सक्षम हैं।
– गरीबों का दर्द देखिए, डॉक्टरों की सेवा देने से मत रोकिये मंत्री जी
कोरोना महामारी के चलते देश में मरीजों की संख्या 1 लाख से अधिक हो गई है । लोग प्रदेशों से अपने गांवों की तरफ भागे चले आ रहें हैं। लोगों को खाने पीने की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। भूखे पेट लोग महानगरों से घर आ रहे हैं । ऐसे इन गरीबों की मदद करने के बजाय योगी सरकार के मंत्री जी कोरोना योद्धा का कार्य कर रहे डॉक्टरों को अपने क्षेत्र में न घुसने का फरमान जारी कर रहें हैं।
सोशल मीडिया पर लोग लिख रहे कि आखिर क्या माजरा है?
डॉक्टरों को अपने क्षेत्र में न घुसने के फरमान जब सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो को लोग पूछने लगे कि मंत्री जी आखिर किया माज़रा है जो आप इन योद्धाओं को समाज की सेवा करने से रोक रहें हैं । ऐसे में सोशल मीडिया यूजर ‘अरविंद साहू’ लिखते हैं कि भनवापुर अस्पताल में किसी प्रकार की जांच नहीं हो रही है सभी जांच बन्द हो गयी है, कल हमारे चाचा जी वहाँ जांच कराने के लिए गये थे, तो उन लोगो ने बताया कि अब यहां जांच नही होती है, हमारे चाचा जी दोनो आंखों से अन्धे है । अब इनकी दवा कस्बा हल्लौर में एक प्राइवेट डॉक्टर से लिए हैं।
सोशल मीडिया यूज़र 2- ‘ रज्जन पांडेय ‘ लिखते हैं कि पूरे जिले में बाहर से आरहे अधिकांश प्रवासी मजदूरों को राशन नही दिया जा रहा है, मंत्री जी इस भ्रष्टाचार पर लगाम नही लगा रहे। बल्कि जो प्राइवेट डॉक्टर क्षेत्र में लोगों की सेवा करने के लिए जा रहे हैं, उन्हें क्षेत्र में न घुसने की बात कह रहे हैं ।
सोशल मीडिया यूज़र 3 – ‘ देवेंद्र प्रताप सिंह बिस्कोहर ‘ लिखते हैं कि भूखे प्यासे लोग बाहर से आ रहे हैं, प्रशासनिक अमला इन गरीबों की कोई मदद नहीं कर रहा है, सब भ्रष्टाचार में मशगूल हैं। आलम यह है कि तहसील इटवा में गरीबों को खिलाने के लिए आये आलू सड़ गए । 3 से 4 कुंटल आलू झाड़ियों में फेंक दिया गया । प्रशासन अगर संवेदनशीलता दिखाता तो सड़ने से पहले इन आलुओं को गरीबों में बाट दिया गया होता । इन अधिकारियों के लापरवाहियों पर मंत्री जी ध्यान नही दे रहें हैं । और वो समाज की मदद कर रहे डॉक्टरों को रोकने में लगे हैं ।
चिकित्सकों पर नाजायज नाराजगी आखिर क्यों ?
बेसिक शिक्षा मंत्री का चिकित्सकों पर भड़कना लोग जायज नही ठहरा रहें हैं , लोग चर्चा कर रहे हैं कि कोरोना महामारी में सेवा कर रहे चिकित्सकों पर मंत्री जी का नराजगी उचित नहीं है । ऐसे चिकित्सकों का सम्मान करने के बजाय उन पर भड़कना नही चाहिए। जबकि चिकित्सकों द्वारा ऐसा कोई कृत्य भी नही किया जिस पर मंत्री जी का भड़कना जायज हो । ऐसे समय पर राजनीति छोड़ खुले मन से लोगों की मदद करनी चाहिये ।
इटवा क्षेत्र के अस्पताल का हाल तो देखिए साहब
कोरोना काल में देश भर के डॉक्टर अपने जान को दांव पर लगाकर लोगों की जान बचा रहें हैं। पर इटवा सीएचसी का मंजर कुछ अलग ही है । यहां दिन भर कुछ डॉक्टर अपने आवास पर निजी प्रैक्टिस में मशगूल रहते हैं । न इमरजेंसी की ड्यूटी सही ढंग से कर रहे हैं। और न ही दूरभाष द्वारा लोगों को परामर्श की सलाह दे रहे हैं। जबकि सरकार का फरमान है कि लोग अस्पताल जाने से बचें। वे डॉक्टरों से दूरभाष द्वारा दवा की सलाह लें।
क्या कहते हैं चिकित्सक
एसडीएम डुमरियागंज द्वारा गठित इंटीग्रेटेड मेडिकल वेलफेयर एसोसिएशन की आठ टीम बनाई गई है । जिसमे मैं भी सेवा दे रहा हूँ । लॉक डाउन से हम लोग कोरोना से बचाव एंव लोगों को जागरूक कर रहे हैं । कई जगहों पर हमलोग सेनिटाइजर एंव मास्क भी बाटा है। ऐसे में मंत्री जी का नाराजगी ठीक नहीं है। उन्हें हम लोगों को सम्मान करना चाहिए। जब पूरा जिला घरों में बैठा था। तभी से हम लोग जान को दांव पर लगा के लोगों की मदद कर रहे हैं । हेमन्त कुमार, चिकित्सक डुमरियागंज।
मंत्री जी की पार्टी के पार्टी के विधायक ने किया डाक्टरों का सम्मान
एक तरफ प्रदेश सरकार के मंत्री निस्वार्थ सेवा दे रहे चिकित्सकों का विरोध कर रहे हैं। और उन्हें अपने क्षेत्र में न घुसने का फरमान जारी कर चुके हैं। वहीं डुमरियागंज के भाजपा विधायक राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने उनके सेवा भाव को देखते हुए उन्हें सम्मानित कर हौसला बढ़ाने का कार्य किया । उन्होंने बताया कि उपजिलाधिकारी डुमरियागंज द्वारा बनाई गई इंट्रीग्रेटेड मेडिकल वेलफेयर एसोसिएशन के डाक्टरों की टीम ने पचास हजार परिवारों को कोविड19 महामारी में घर घर जाकर निशुल्क इलाज किया है किया ।
बेसिक शिक्षा मंत्री का कहना है
इस सम्बंध में बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्धिवेदी का कहाना है कि जिला प्रशासन और डुमरियागंज तहसील प्रशासन यह सुनिश्चित करें कि एसडीएम डुमरियागंज की ओर से गठित इंटीग्रेटेड मेडिकल वेलफेयर एसोसिएशन की आठ टीमों का कोई भी व्यक्ति इटवा विधानसभा क्षेत्र के किसी गांव में न जाएं। सरकारी अस्पताल और सरकारी चिकित्सक कोरोना की जांच और इलाज में पूर्णतया सक्षम हैं। इसमें किसी निजी संस्था या व्यक्ति की जरूरत नहीं है।