“शमीम” का निधन साहित्यिक जगत के साथ मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति: ज्ञानेंद्र “दीपक”

November 17, 2018 7:47 PM0 commentsViews: 308
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मेराज़ मुस्तफा

इटवा,सिद्धार्थनगर। जनपद के वरिष्ठ शायरों में शुमार बांसी तहसील के ग्राम नेउरी निवासी पचास वर्षीय शायर समीउल्लाह “शमीम” का लम्बी बीमारी के बाद शुक्रवार की सायं उनके गोल्हौरा स्थित निवास पर देहांत हो गया।स्व. शमीम की निधन की खबर सुनते ही जनपद के नामचीन शायरों व कवियों ने मृतक के घर पहुंचकर संवेदना प्रकट करते हुए परिजनों को ढांढस बंधाया।

इसी क्रम में वरिष्ठ कवि ब्रम्हदेव शास्त्री “पंकज” जी के आवास पर एक शोक सभा का आयोजन किया गया जिसमें मृतक को भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई।शोक सभा की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ कवि डा. ज्ञानेंद्र द्विवेदी “दीपक” ने कहा कि शायर समीउल्लाह शमीम का जाना साहित्यिक जगत के साथ-साथ मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है क्योंकि वह मेरे लिए छोटे भाई की तरह थे और हमने साथ में कई मंचो पर एक साथ काव्य पाठ किया ऐसे में उनके जाने से कवि सम्मेलनों व मुशायरों में एक कमी हमेशा बनी रहेगी जिसकी भरपाई असम्भव है।

कवि ज्ञानेंद्र द्विवेदी “दीपक” ने कहा आज हमारे बीच स्व. शमीम नही हैं परन्तु उनकी रचनायें हमेशा उन्हें हमारे बीच मौजूद रहेंगी। ज्ञानेंद्र द्विवेदी “दीपक” जी ने कहा कि शायर शमीम व्यक्तित्व के धनी थे वे गंगा जमुनी तहजीब को हमेशा बढ़ावा देते रहे।शोकसभा में वरिष्ठ पत्रकार व कवि राकेश त्रिपाठी “गंवार” ने कहा कि शायर शमीम के साथ कई मंचो पर काव्य पाठ करने का मौका मिला है वे उर्दू के उस्ताद शायर थे। उन्हें ईश्वर ने समय से पूर्व ही अपने पास बुला लिया उनके निधन से साहित्यिक जगत को अपूरणीय क्षति पहुंची है।

वरिष्ठ कवि ब्रह्मदेव शास्त्री “पंकज” ने कहा कि शायर शमीम के निधन से साहित्य जगत के साथ मेरे लिए निजी क्षति भी है हम सदैव एक दूसरे के काफी करीब रहे हैं ऐसे में उनका यूं अचानक जाना हम सभी को तोड़ गया है।ब्रह्मदेव शास्त्री “पंकज” ने कहा ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे एवं परिवार को सहनशक्ति दे।

शोकसभा के दौरान वरिष्ठ कवि ज्ञानेंद्र द्विवेदी “दीपक” जी, ब्रह्मदेव शास्त्री “पंकज” के अतिरिक्त राष्ट्रीय सहारा के गोल्हौरा प्रतिनिधि व वरिष्ठ कवि राकेश त्रिपाठी “गंवार” शायर एडवोकेट शादाब शब्बीरी, जमाल कुद्दुसी, नूर बस्तवी, डॉ.सुशील श्रीवास्तव “सागर”, सहाब मजरूह, रत्नेश चतुर्वेदी, हमीद अशरफ आदि ने दो मिनट का मौन रखकर उनकी आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना किया।

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