किसी स्वतंत्रता सेनानी के गांव के साथ ऐसा क्रूर मजाक सिर्फ इसी देश में संभव
सेनानी स्व. उदयराज शुक्ल का गांव बोहली
नर्वदेश्वर शुक्ल डीएक से मिले, डीएम मीणा ने दिया समस्या निस्तारण का आश्वासन, आज गांव में पहुंचेंगे अधिशासी अभियंता
अजीत सिंह
सिद्धार्थनगर। देश और प्रदेश में स्वातंत्रता संग्राम सेनानियों से जुड़े स्थलों के विकास पर बहुत जोर दिया जा रहा। इसी क्रम जिला स्तर पर सेनानियों के गांवों के समग्र विकास का कार्यक्रम बनाया जा रहा है। लेकिन शासन की मंशा के उलट शोहरतगढ़ तहसील स्थित बोहली गांव को सेनानी का गांव होने की सजा मिल रही है। यह गांव प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी स्व. उदयराज शुक्ला का गांव है। मगर विकास की कौन कहे इस गांव में पूर्व में स्थापित सुविधा के नाम पर बनी 5 सौ मीटर सड़क अब लुप्त होने की कगार पर है। लेकिन सरकारी नियम कानूनों के जाल में उलझ जाने के कारण सड़क के इस हिस्से को पुनरूद्धार नहीं हो पा रहा है।
क्या है ग्राम बोहली का मामला
शोहरतगढ़-बढ़नी मुख्य मार्ग से लगभग 4.5 किमी उत्तर स्थित बोहली नेपाल सीमा क करीब होने के कारण पिछड़े गांवों में शुमार किया जाता था। किसी को याद नहीं रहा कि बोहली एक सेनानी का गांव है, जिसे सम्पर्क मार्ग की सुविधा तो मिलनी ही चाहिए। करीब 1997 में उनके पु़त्र नर्वदेश्वर शुक्ल ने अपने राजनीतिक प्रयास से तत्कालीन राज्यपाल मोती लाल बोरा से वार्ता कर सिसवा से बोहली लगभग 4.5 किमी सड़क का निर्माण कराया। उस समय राज्यपाल वोरा जी खुद शोहरतगढ़ आये और सड़क का नाम सेनानी स्व. उदयराज शुक्ला मार्ग रखा गया। उसका शिलापट्ट आज भी जीर्ण शीर्ण दशा में खड़ा है।
गांव के साथ हुआ क्रूर मजाक
इसके बाद पुनः उसी प्रयास से मोतीलाल बोरा जी के ही समय में बोहली से लोहटी मार्ग का निर्माण हुआ। कालांतर में उन दोनों सड़कों को जोड़ कर सिसवा-लोहटी मार्ग अस्तित्व में आया। पीडब्ल्यूडी द्धारा निर्मित यह सड़क बाद में प्रधानमंत्री सड़क योजना में आ गई। और उसका रख़-रखाव ग्रामीण अभियंत्रण सेवा के जिम्मे हो गया। बस यहीं गड़बडी हुई और अफसरशाही की लापरवाही के चलते सेनानी के नाम पर बनी सड़क के साथ क्रूर मजाक हो गया।
और सड़क गायब हो गई
हुआ दरअसल यों कि जब बोहली से लोहटी सड़क का निर्माण हुआ और उसे बोहली की सड़क से मिलाया गया तो बोहली गांव दोनों सड़कों के मिलान स्थल से गांव 5 सौ मीटर बाये पड़ता था। लेकिन सड़क को कागजों में सीधा माना गया। इसके कारण 5 सौ मीटर सड़क अभिलेखों से बाहर हो गई। अर्थात जिस सेनानी के नाम पर स्ड़क बनाई गई थी, उन्हीं का गांव सड़क से बाहर पड़ गया। इसका नतीजा यह हुआ कि वह सड़क विभाग के प्लान से गायब हो गई। इसलिए उसकी मरम्मत का काम भी रोक दिया गया।
क्या कहते हैं नर्वदेश्वर शुक्ला
स्वतंत्रता सेनानी स्व उदयराज शुक्ल के पुत्र नर्वदेश्वर शुक्ल जो कांग्रेस शासन में प्रदेश के दर्जा प्राप्त मंत्री भी रह चुके हैं, बताते हैं कि इस बारे में उन्हेंने काफी लिखा पढ़ी की मगर किसी ने ध्यान नहीं दिया। वर्तमान में स्थिति यह है कि सरकारी लापरवाही से उक्त 5 सौ मीटर सड़क धीरे धीरे टूट कर पूरी तरह गायब होने के कगार पर आ चुकी है।
डीएम ने मौके पर अफसर भेने का दिया निर्देश
इस बारे में दर्जा प्राप्त पूर्व मंत्री नर्वदेश्वर शुक्ल बताते हैं कि उन्होंने मौजूदा जिलाधिकारी दीपक मीणा जी से मिल कर इस बारे में बात तो वे इसके प्रति गंभीर दिखे। उन्होंने फौरन अधिशासी अभियंता से बात की। उन्होंने आज सड़क का मौका मुआयना कर समस्या सुलझाने को कहा है। इससे मार्ग के इस छोटे मगर महत्वपूर्ण हिस्से के दिन बहुरने के आसार बनने लगे हैं।
इस बारे में बोहली गांव के लोग कहते हैं कि डीएम साहब इस सड़क का पुननिर्माण करा दें तो यह एक स्वतंत्रता सेनानी का सम्मान होने के साथ गाव वालों पर एहसान होगा। अब देखना होगा कि जिलाधिकारी का यह आदेश कितना रंग लाता है।